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Mahabharat Katha: महाभारत के दौर को धन संपदा के लिहाज से देश के सबसे समृद्ध दौर में गिना जाता है. बड़े बड़े महल. सोने और आभूषणों का अंबार. क्या आपको मालूम है कि उस दौर में कौन ज्यादा अमीर था कौरव या पांडव

हाइलाइट्स
- महाभारत काल में कौरव पांडवों से अधिक अमीर थे
- युधिष्ठिर ने हिमालय से राजा मरुत का खजाना खोज निकाला
- महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर सबसे अमीर बने
कहा जाता है कि महाभारत का दौर भारत के लिहाज से समृद्धि और वैभव का दौर था. दौलत और वैभव खूब था. खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी लेकिन क्या आपको मालूम है कि उस दौर में कौरव ज्यादा अमीर थे या पांडव.
महाभारत काल में धन और संपत्ति की तुलना करें तो कौरवों की संपत्ति पांडवों से अधिक थी, लेकिन समय के साथ हालात बदले. हालांकि ये बात सही है कि जब पांडव को खांडप्रस्थ वन देकर कहा गया कि इसे लेकर तुम अपनी राजधानी बना लो तो वहां केवल जंगल थे. पांडवों ने श्रीकृष्ण की मदद से इंद्रप्रस्थ नामक नगर बसाया था. इंद्रप्रस्थ का शाब्दिक अर्थ है, “इंद्र का मैदान” या “इंद्र का शहर”. इस नगरी को महान वास्तुकार विश्वकर्मा ने डिज़ाइन किया और बनाया था.
इसे बनवाने के दौरान पांडवों के पास जितना भी धन था वो खत्म हो गया. जब कृष्ण ने युधिष्ठिर और पांडवों से कहा कि अब राजसूर्य यज्ञ कराना चाहिए तो युधिष्ठिर ने लाचारी जाहिर करते हुए कहा कि अब उनके पास इतना धन नहीं है कि इस बेहद खर्चीले काम को कर सकें. तब कृष्ण ने उन्हें एक खजाने के बारे में बताया. इसका जिक्र आगे कि वो कौन सा खजाना था, जिसने पांडवों की किस्मत बदली.
तब कौरव ज्यादा अमीर थे
पहले ये देखते हैं कि पांडवों और कौरवों के बीच जब बंटवारा नहीं हुआ था तब कौरव कितने अमीर थे. जब हस्तिनापुर कुरु वंश की राजधानी थी तो कौरव बहुत अमीर थे. हस्तिनापुर पूरे आर्यावर्त (भारत) के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राज्यों में एक था. राजकोष, सेना, हाथी-घोड़े, और जमीन की दृष्टि से कौरव बहुत धनवान थे.
जब तक पांडव हस्तिनापुर में कौरवों के साथ रह रहे थे, तब तक उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी लेकिन जब उन्होंने इंद्रप्रस्थ को राजधानी बनाया तो उन्हें एक बड़ा खजाना मिला. (image generated by Leonardo AI)
दुर्योधन सबसे धनी लोगों में था
दुर्योधन के पास सोने के महल थे और वह राजाओं को दान देता था, जिससे उसकी समृद्धि और वैभव सिद्ध होता है. ये तो कहा भी गया है कि दुर्योधन उस दौर के सबसे धनी लोगों में गिना जाता है. कौरवों के सबसे बड़े भाई दुर्योधन के पास हस्तिनापुर राज्य का विशाल कोष था. वह एक शक्तिशाली राजकुमार था. उसके पास बहुत बड़ी सेना और धन-संपत्ति से भरा खजाना था.
तब पांडवों के पास कुछ नहीं था
जब तक पांडव यानि युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव हस्तिनापुर में रहते थे, उनके पास व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं था. जब राज्य विभाजन हुआ, तो उन्हें एक बंजर भूमि मिली, जिसे उन्होंने माया सभ्यता की मदद से स्वर्ग के समान बना दिया. इसमें कृष्ण और मय दानव ने भी सहायता की. इसके बाद ही युधिष्ठिर और पांडवों की संपत्ति तेजी से बढ़ी.
यकीनन जब भीम ने राजा मरुत के हिमालय में छिपे खजाने को ढूंढ निकाला तो पांडवों के राज्य का खजाना जबरदस्त तरीके से भऱ गया. (image generated by Leonardo AI)
तब पांडवों का खजाना था खाली
अब आइए हम आपको बताते हैं कि इंद्रप्रस्थ को राजधानी बनाने के बाद जब पांडवों के पास खजाना खाली हो गया, ऐसे में उन्हें किस राजा का छिपा हुआ खजाना मिला, जिसने उन्हें अमीर बना दिया. ये कहानी भी दिलचस्प है.
कौन सा था मरुत का खजाना जो युधिष्ठिर को मिला
जब युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ कराना चाहते थे, तब उनके पास पर्याप्त धन नहीं था. इस समस्या का समाधान भगवान श्रीकृष्ण ने किया. उन्होंने युधिष्ठर को मरुतों का खजाना (Marut’s Treasure) हासिल करने की सलाह दी. यह खजाना प्राचीन काल में राजा मरुत का था. राजा मरुत तो स्वर्गवासी हो गए लेकिन खजाना धरती पर ही रह गया.
हिमालय की गुफाओं में था ये खजाना
यह खजाना हिमालय की गुफाओं में छिपा था. ना तो इसके बारे में किसी को मालूम था और ना ही कोई इसको पा सका था. तब कृष्ण ने ना केवल इसके बारे में बताया बल्कि ये भी बताया कि ये कहां और कैसे मिलेगा. इस खजाने को लाने के लिए भीम को भेजा गया. उन्होंने इसे खोज निकाला. इसने पांडवों को बहुत अमीर बना दिया.
फिर कौरवों ने हड़प ली सारी धन -संपत्ति
लेकिन इसके बाद दुर्योधन ने छल से जुए में पांडवों को हराया. उनकी पूरी संपत्ति, राज्य, धन, सेना को अपने कब्जे में कर लिया. इस समय कौरवों के पास फिर सबसे ज्यादा धन-संपत्ति हो गई. पांडवों के पास कुछ भी नहीं बचा. वो वनवास में चले गए.
महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर सबसे अमीर बने
वनवास के दौरान पांडवों ने अपने संपर्क कई राजाओं से बेहतर किए. जब महाभारत का युद्ध हुआ तो वो अपने गठजोड़ के कारण ताकतवर हो चुके थे. महाभारत युद्ध में कौरवों की संपत्ति, सेना और राज्य सभी का विनाश हो गया. युद्ध के बाद युधिष्ठिर राजा बने. अब पांडवों के पास अपार संपत्ति थी, लेकिन उन्होंने इसे राज्य की सेवा में लगाया.
कई और लोग भी थे अमीर
महाभारत काल में कई और लोग भी खासे अमीर थे. जिनके पास अपार धन-संपत्ति थी. वो आर्थिक रूप से बहुत संपन्न थे.
कर्ण – दानवीर कर्ण के पास अंगदेश का राज्य था. वो भी बहुत धनी थे. उन्होंने अपनी दानवीरता के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी.
भीष्म – भीष्म पितामह के पास भी अपार संपत्ति थी. वह कुरु वंश के सबसे सम्मानित और शक्तिशाली व्यक्तियों में एक थे.
द्रुपद – पांचाल के राजा द्रुपद भी बहुत धनी थे. उनकी पुत्री द्रौपदी का विवाह पांडवों से हुआ था.
राजा विराट – राजा विराट मत्स्य देश के शासक थे और उनके पास अपार संपत्ति, विशाल सेना और घोड़े थे. यह वही राजा हैं, जिनके यहाँ पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शरण ली थी.
श्रीकृष्ण – श्रीकृष्ण को भी उनकी दिव्य शक्तियों और संपत्ति के लिए जाना जाता था. वे द्वारका के राजा थे. उनके पास अपार धन-संपत्ति थी.
कुबेर थे सबसे धनवान लेकिन
कुबेर उस दौर में सबसे धनवान थे. लेकिन वह मानव नहीं थे बल्कि देवता माने जाते थे. वह देवताओं के कोषाध्यक्ष माने जाते थे. सैकड़ों यक्ष हमेशा उनके अपार खजाने की रक्षा करते रहते थे. उनके पास त्रिलोक का खजाना था, जिसे “निधि” कहा जाता है.
कौन सी मुद्राएं तब चलती थीं
महाभारत काल में विभिन्न प्रकार की मुद्राओं का प्रचलन था. ये सोने, चांदी और तांबे से बनी होती थीं
कार्षापण – यह सबसे प्रचलित मुद्रा थी, जो चांदी या तांबे से बनी होती थी.
सुवर्ण – यह सोने की मुद्रा थी, जिसका मूल्य कार्षापण से अधिक होता था.
निष्क: यह भी सोने की मुद्रा थी, जो सुवर्ण से भी अधिक मूल्यवान होती थी.
माषक – यह तांबे की मुद्रा थी, जिसका मूल्य कार्षापण से कम होता था.
काकणी: यह सबसे छोटी मुद्रा थी, जो तांबे या मिट्टी से बनी होती थी.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 11, 2025, 12:53 IST
महाभारत काल में कौन थे सबसे अमीर कौरव या पांडव,युधिष्ठिर को कहां से मिला खजाना