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यहां बाहर की दुनिया नहीं देख पाते मठाधीश…मठ से निकलना मौत को दावत, 8 पीढ़ियों से चली आ रही सीमारेखा

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Ballia News : वर्तमान मठाधीश जयनारायण पांडेय यहां तैनात आठवीं पीढ़ी के महंत हैं. 16 साल से पुजारी हैं, लेकिन आज तक हिम्मत नहीं हुई की मंदिर से बाहर जा सकें. इस मठ में आज भी पूर्व मठाधीशों की खड़ाऊं पूजी जाती है.

बलिया. आज हम आपको यूपी के एक ऐसे मठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मठाधीश की दुनिया बस एक रेखा तक सीमित है. जी हां! कदम बाहर क्या पड़ा, अनहोनी निश्चित है!..ये सुनने में जरूर अटपटा लगे, लेकिन सच यही है. बलिया जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के तहत रकबा टोला गांव में स्थित मुन जी बाबा की मठिया को लेकर ऐसी रहस्यमयी मान्यता है, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाती है. कहते हैं कि इस मठ में खुद कपिलमुनि पांडेय ने तपस्या करते हुए एक लक्ष्मण रेखा खींच दी थी और आदेश दिया था कि कोई भी मठाधीश इस सीमा को पार न करे. तब से लेकर आज तक इस मठ की परंपरा और डर, दोनों बरकरार हैं. यहां के मठाधीश बाहर की दुनिया नहीं देख सकते हैं.

कैसे पड़ी नींव

वर्तमान मठाधीश जयनारायण पांडेय के अनुसार, वे इस परंपरा की आठवीं पीढ़ी के महंत हैं. यह मठ कपिलमुनि पांडेय उर्फ मुन जी बाबा की तपस्थली है. कहते हैं कि अपने समय में बाबा भक्ति में इतने लीन हो गए थे कि उन्होंने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी और वहीं बैठकर तपस्या करने लगे. वे चाहते थे कि अगर भक्ति में शक्ति है तो भगवान स्वयं दर्शन देंगे. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने दर्शन दिया, लेकिन बाबा ने वरदान लेने से मना कर दिया और उसी रेखा के भीतर प्राण त्याग दिए. तभी से यह नियम बन गया कि मठ का मठाधीश इस लक्ष्मण रेखा को कभी पार नहीं करेगा, दो बार बड़ी अनहोनी भी हो चुकी है.
कौन सी हैं वो दो घटनाएं

मठ से जुड़ी दो घटनाएं इस मान्यता को और भी गहरा बना देती हैं. पहली घटना के अनुसार पूर्व मठाधीश घरभरन बाबा ने एक बेटी का कन्यादान करने के लिए लोगों के जिद्द करने पर पालकी से मठ की सीमा पार की थी, लौटते समय उन्हें एक काले नाग ने डंस लिया और उनकी मौत हो गई. साथ ही वो बेटी भी उसी दिन विधवा हो गई. दूसरी घटना में एक मठाधीश आम तोड़ने गए, पेड़ सीमा के अंदर था. लेकिन उनका एक पैर गलती से बाहर चला गया. कुछ ही दिनों में उनका वही पैर जल गया और महीनों बिस्तर पर रहना पड़ा.

बाबा जयनारायण पांडेय यहां 16 साल से पुजारी हैं, लेकिन आज तक हिम्मत नहीं हुई की मंदिर से बाहर जा सके. इस अद्भुत मठ पर आज भी पूर्व मठाधीशों की खड़ाऊं की पूजा होती है. कहा जाता है कि मठ में सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है. केवल मठाधीश को मठ की सीमा पार नहीं करनी है, वरना अनहोनी निश्चित है. यही वजह है कि इस मठ के मठाधीश आज भी बाहरी दुनिया से वंचित हैं.

Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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