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यह है मेवाड़ का हरिद्वार! भगवान परशुराम को मातृहत्या के पाप से मिली थी मुक्ति, पितरों को तर्पण देने आते हैं लोग


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Chittorgarh Matrikundiya Pilgrimage Site: चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित मातृकुंडिया तीर्थ स्थल मेवाड़ का हरिद्वार माना जाता है. यह स्थल अस्थि विसर्जन और पितरों के तर्पण के लिए प्रसिद्ध है. मान्यता है कि भगवान परशुराम को अपनी माता की हत्या के पाप से मुक्ति इसी स्थान से मिली थी. यहां 25 छोटे-बड़े मंदिर और मंगलेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं.मातृकुंडिया में हर वैशाख पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और हरियाली अमावस्या पर मेले लगते हैं.यहां 52 गेटों वाला बांध बनास नदी पर बना हुआ है.

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चित्तौड़गढ़. राजस्थान का मेवाड़ अपनी प्राचीन परंपराओं और धरोहर के साथ विश्व भर में विशेष स्थान रखता है. आज हम आपको मेवाड़ के हरिद्वार के बारे में बताने जा रहे हैं. मान्यता है कि यहां अस्थि विसर्जन करने से दिवंगत आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है. चित्तौड़गढ़ जिले की राशमी तहसील में हरनाथपुरा पंचायत में मातृकुंडिया तीर्थ स्थित है. मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां भगवान परशुराम अपनी मां की हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. मातृकुंडिया के जल में स्नान करने से उनके पाप धुल गए, अर्थात् भगवान परशुराम ने पाप से मुक्ति पाई. इसी कारण इस स्थान को मातृकुंडिया कहा जाने लगा.

मान्यता है कि जो व्यक्ति हरिद्वार नहीं जा पाता, वह अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन यहां करता है और यहां से दिवंगत आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है. स्थानीय निवासी और शिक्षक लोकेश सेन ने Bharat.one से खास बातचीत में बताया कि मातृकुंडिया तीर्थ स्थल बहुत प्राचीन है. इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है. मेवाड़ के केंद्रीय बिंदु पर होने के कारण इसे मेवाड़ का प्रमुख स्थल भी माना जाता है. यहां हर समाज की धर्मशाला और मंदिर बने हुए हैं.

पितरों के तपर्ण को लेकर यहां आते हैं लोग

लोग अपने परिजनों की अस्थियां लेकर आते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके. यहां कई घाट बने हैं, जहां लोग अक्सर पितरों का तर्पण करते दिखाई देते हैं. यहां के प्राचीन कुंड के पानी से स्नान करने पर जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है. इस कुंड में मेवाड़ के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन भी करते हैं. जो लोग अपनी अस्थियों को हरिद्वार नहीं ले जा सकते, वे मातृकुंडिया में ही विसर्जन करते हैं. यहां कुल 25 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनमें सबसे प्रमुख मंगलेश्वर महादेव मंदिर है, जो अत्यंत प्राचीन है.

यहां स्थापित शिवलिंग पूरे प्रदेश में कहीं और नहीं मिलता. मातृकुंडिया राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां लक्ष्मण झूला नामक एक पुल भी बना है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यहां उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच सहित पूरे प्रदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यहां 52 गेटों वाला मातृकुंडिया बांध बना है, जहां से बनास नदी गुजरती है.

परशुराम को मातृ हत्या के पाप से यहां मिली थी मुक्ति

राजकीय मॉडर्न स्कूल के अध्यापक लोकेश सेन ने बताया कि मातृकुंडिया तीर्थ स्थल से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि भगवान परशुराम को उनकी माता की हत्या का पाप लग गया था. इसके बाद उन्होंने शिवजी की तपस्या की और उनके कहने पर यहां पहुंचे. तब उन्होंने देखा कि एक गाय और उसका बछड़ा नदी से होकर निकल रहा है. उन्होंने कहा कि जब गाय और बछड़े का पाप धुल सकता है, तो मेरे पाप का उद्धार भी यहां हो सकता है. इसके बाद उन्होंने वैशाख पूर्णिमा के दिन डुबकी लगाकर अपनी माता की हत्या के पाप से मुक्ति पाई. इसके बाद से ही यहां हर वैशाख पूर्णिमा पर मेला लगता है. इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा और हरियाली अमावस्या पर विशेष भक्तों की भीड़ जमा होती है और मेले का आयोजन किया जाता है.

मातृकुंडिया में है 52 गेटों वाला बांध

मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ और राजसमंद जिले की सीमा पर स्थित है, लेकिन यह चित्तौड़गढ़ में आता है. यह बांध बनास नदी पर बना है. राजसमंद में स्थित नंद समद बांध के भर जाने पर मातृकुंडिया बांध में पानी आता है. इस बांध में पानी की आवक उदयपुर और राजसमंद जिले से होती है. बांध की भराव क्षमता 28 फीट है. इसका निर्माण 1981 में पूर्ण हुआ था. बांध का जल ग्रहण क्षेत्र 3485 वर्ग किलोमीटर और लंबाई 8400 मीटर है. इस बांध में 52 गेट हैं, जो राजस्थान के किसी भी बांध में सर्वाधिक है.

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deep ranjan

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें

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यह है मेवाड़ का हरिद्वार! यहां अस्थि विसर्जन और तर्पण के लिए आते हैं लोग

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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