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Edana Mata Temple, Udaipur Rajasthan: आज हम आपको उदयपुर में मातारानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जो बेहद चमत्कारी है. इस मंदिर में माता अग्नि स्नान करती हैं, लेकिन इसके पीछे क्या रहस्य है वैज्ञानिक भ…और पढ़ें
ईडाणा माता
हाइलाइट्स
- ईडाणा माता मंदिर उदयपुर में स्थित है
- मंदिर में देवी की प्रतिमा से अग्नि प्रज्वलित होती है
- मंदिर निर्माण के प्रयास अग्नि स्नान से विफल हो जाते हैं
उदयपुर:- चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है, कलश स्थापित कर लोग माता रानी की पूजा अर्चना कर रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको माता रानी के एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बेहद चमत्कारी है. यह मंदिर राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित ईडाणा माता मंदिर है, जो न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह मंदिर अग्नि स्नान के लिए भी प्रसिद्ध है. यह उदयपुर शहर से लगभग 60-65 किलोमीटर दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर अरावली की पहाड़ियों के बीच बना हुआ है. चलिए जानते हैं इस मंदिर में होने वाले चमत्कार के बारे में
माता करती हैं अग्नि स्नान
आपको बता दें इस मंदिर में हर महीने दो से तीन बार देवी की प्रतिमा से अचानक अग्नि प्रज्वलित हो जाती है. यह अग्नि इतनी तेज होती है कि लपटें 10 से 20 फीट तक ऊंची उठती हैं, लेकिन चमत्कारिक रूप से केवल देवी का श्रृंगार जलता है, जबकि अन्य किसी वस्तु को कोई नुकसान नहीं होता.यह रहस्य आज तक वैज्ञानिकों के लिए भी अबूझ पहेली बना हुआ है.
भक्तों की गहरी आस्था
मान्यता है कि इस मंदिर में लकवा से ग्रसित मरीज मां के दर्शन करने के बाद ठीक हो जाते हैं. इसके अलावा, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति यहां झूला चढ़ाते हैं और भक्त त्रिशूल अर्पित कर अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी प्रकट करते हैं.
क्यों नहीं बन पाया आज तक मंदिर
आपको बता दें, मां के दरबार में मंदिर निर्माण के हर प्रयास को अग्नि स्नान विफल कर देता है. जब भी मंदिर का निर्माण कराया जाता है, रहस्यमयी अग्नि खुद ही प्रकट हो जाती है और पूरा ढांचा भस्म हो जाता है. यही कारण है कि माता का दरबार आज भी खुले चौक में स्थित है.
कैसे पहुंचें यहां
ईडाणा माता मंदिर उदयपुर के कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर स्थित गांव ईडाणा में है. यहां उदयपुर से सड़क मार्ग द्वारा कुराबड़-बम्बोरा होते हुए पहुंचा जा सकता है. यात्रा में लगभग 1.5 से 2 घंटे का समय लगता है. ईडाणा माता का यह चमत्कारी दरबार सालभर श्रद्धालुओं से भरा रहता है. खासकर अग्नि स्नान के दौरान हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और इसे देवी की अलौकिक शक्ति मानते हैं.
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