Home Dharma ‘लक्ष्मी घर, दरिदर बाहर’, दिवाली की अगली सुबह मां लक्ष्मी को घर...

‘लक्ष्मी घर, दरिदर बाहर’, दिवाली की अगली सुबह मां लक्ष्मी को घर में क्यों बुलाती हैं बिहारी महिलाएं, जानें परंपरा

0


जमुई. दीपावली का त्योहार पूरे देश में काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दिवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ऐसी परंपरा है कि दीपावली के दिन लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं और उनसे सुख समृद्धि की कामना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार में दीपावली की अगली सुबह महिलाएं अपने घर में माता लक्ष्मी का आह्वान करती हैं और उन्हें अपने घर में आने का निमंत्रण देती हैं.

दरअसल हर पर्व त्यौहार में ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं. ऐसा ही एक रिवाज बिहार के कई जिलों में देखने को मिलता है, जहां दिवाली की अगली सुबह महिलाएं एक खास तरह से मां लक्ष्मी को अपने घर में बुलाती हैं.

दिवाली के अगले दिन किया जाता है खास रिवाज
बिहार के कई जिलों में दीपावली की अगली सुबह यह खास रिवाज मनाया जाता है. जिसमें महिलाएं माता लक्ष्मी को अपने घर में बुलाती है. इसके साथ ही दरिद्रता को घर से बाहर जाने के लिए कहती हैं. इसमें महिलाएं दीपावली की अगली सुबह सूर्योदय से पहले उठती हैं. घर में बड़े पुराने सूप, दउरा सहित किसी भी अन्य पुराने सामान को लकड़ी से पीटते हुए जाती हैं.

इस दौरान वह लगातार दरिद्र को घर से बाहर जाने और माता लक्ष्मी को घर में बुलाने का आह्वान करती है. इसके बाद किसी भी चौक-चौराहे पर जाकर उन पुराने सूप, दउरा को जला दिया जाता है और यह परिपाटी पुराने समय से बिहार के कई इलाकों में चली आ रही है.

दीपावली का होता है काफी खास महत्व
दीपावली का त्योहार भले ही प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसका काफी खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम लंका विजय कर माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे थे और उसे दिन पूरी अयोध्या अलग-अलग रोशनी से जगमगा उठी थी. इसे लेकर ही दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. परंतु हर इलाके में दिवाली को लेकर कई पुरानी परंपराएं देखने को मिलती हैं, उन्हीं में से एक परंपरा यह भी है.

इसके साथ ही बिहार के कई इलाकों में दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की पुरानी प्रतिमा की पूजा की जाती है. जहां एक तरफ पूरी हर जगह मां लक्ष्मी और गणेश की नई प्रतिमा की पूजा होती है, परंतु बिहार में पुरानी प्रतिमा की पूजा की भी परंपरा लंबे अरसे से चली आ रही है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version