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Vastu Tips for Wall Clock: वास्तु अनुसार घड़ी केवल समय नहीं बताती, बल्कि घर में ऊर्जा, अनुशासन और समृद्धि का प्रवाह बढ़ाती है. जानें किस दिशा में घड़ी शुभ मानी जाती है और किन दिशाओं से बचना चाहिए.
हिन्दू धर्म में कई शास्त्र बताए गए है. उन्हीं शास्त्रों में से एक वास्तु शास्त्र काफ़ी महत्वपूर्ण माना गया है. वास्तु शास्त्र हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन लाने का महत्वपूर्ण आधार है. घर की सजावट से लेकर रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली छोटी वस्तुओं तक हर चीज़ का हमारे वातावरण पर असर पड़ता है. इन्हीं में से एक है दीवार पर लगी घड़ी, जो केवल समय बताने का साधन ही नहीं, बल्कि घर की ऊर्जा को भी प्रभावित करती है.
वास्तु के अनुसार सही दिशा और उचित रंग में घड़ी लगाने से घर में खुशहाली, प्रगति और समय का सही उपयोग सुनिश्चित होता है. तो चलिए जानते हैं. वास्तु शास्त्र में घड़ी से जुड़े कौन-कौन से आवश्यक नियम माने गए हैं. वास्तु शास्त्र में घर या ऑफिस में घड़ी लगाने की सबसे शुभ दिशा पूर्व बताई गई है. पूर्व दिशा सूर्य का उदय स्थल है, जिसे नई ऊर्जा, अवसर और उत्साह का प्रतीक माना जाता है. अगर घड़ी को पूर्व दिशा में लगाया जाए, तो जीवन में नई शुरुआत के रास्ते खुलते हैं और करियर व व्यवसाय में प्रगति के संयोग बढ़ते हैं.
यह दिशा बच्चों की पढ़ाई और एकाग्रता के लिए भी बेहद अनुकूल मानी जाती है. पूर्व दिशा में लगी घड़ी न केवल वातावरण को संतुलन देती है, बल्कि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखती है. वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना गया है, जो धन, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है. अगर घड़ी को उत्तर दिशा की दीवार पर लगाया जाए, तो घर में आर्थिक स्थिरता बढ़ती है और धन के नए स्रोत खुलने लगते हैं.
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खासकर व्यापार करने वालों के लिए यह दिशा बेहद शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह अवसरों को पहचानने और समय का सही उपयोग करने की प्रेरणा देती है. उत्तर दिशा में लगी घड़ी परिवार के रिश्तों में मिठास लाती है और घर के माहौल में सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण और पश्चिम दिशा में घड़ी लगाना शुभ नहीं माना जाता. दक्षिण दिशा यमराज से जुड़ी मानी जाती है, इसलिए यहाँ घड़ी लगाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ सकती है.वहीं पश्चिम दिशा अक्सर कार्यों में देरी और तरक्की में रुकावट का कारण बनती है.
अगर किसी स्थिति में इन दिशाओं में घड़ी लगाना आवश्यक हो, तो एक बात ज़रूर ध्यान रखें. घड़ी कभी रुकी हुई न हो. रुकी हुई घड़ी नकारात्मकता, ठहराव और जीवन में बाधाओं का संकेत मानी जाती है. इसलिए इन दिशाओं में घड़ी लगानी पड़े, तो उसे हमेशा चालू और सही समय दिखाने वाली रखें, ताकि ऊर्जा का प्रवाह संतुलित बना रहे.
घड़ी की दिशा और रंग जितने महत्वपूर्ण हैं, उतना ही ज़रूरी है उसकी स्थिति और आकार का ध्यान रखना. वास्तु के अनुसार गोल या चौकोर आकार की घड़ियाँ शुभ मानी जाती हैं, क्योंकि ये पूर्णता, स्थिरता और संतुलन का प्रतीक होती हैं. घड़ी को ऐसी ऊँचाई पर लगाया जाना चाहिए कि वह घर के सभी सदस्यों को आसानी से दिखाई दे सके. एक बात हमेशा याद रखें, घड़ी न तो टूटी हो और न ही बंद. रुकी हुई घड़ी जीवन में रुकावटें, ठहराव और नकारात्मकता लाती है. साथ ही, घड़ी की नियमित सफाई भी आवश्यक है, ताकि वह साफ-सुधरी रहे और घर में सकारात्मक ऊर्जा का आकर्षण बढ़ाती रहे.
वास्तु शास्त्र में सही दिशा और उपयुक्त रंग की घड़ी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसा करने से घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. घड़ी केवल समय दिखाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि वह हमें समय की अहमियत समझाती है और जीवन में अनुशासन लाने में मदद करती है. जब किसी स्थान की ऊर्जा संतुलित होती है, तो मन शांत रहता है, कार्यों में गति आती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ने लगती है. इसीलिए घड़ी को वास्तु में सकारात्मकता और सफलता का प्रतीक माना गया है.जो जीवन की प्रगति को सही दिशा देती है.
शास्त्रों के अनुसार, घड़ी को एक महत्वपूर्ण वस्तु माना गया है जो घर के वातावरण और व्यक्ति के जीवन दोनों पर असर डालती है. घड़ी को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है, जबकि दक्षिण और पश्चिम दिशा से परहेज करना चाहिए. हल्के और सकारात्मक रंगों की घड़ी का चुनाव करने से जीवन में सफलता और शांति आती है. सही दिशा, रंग और स्थिति में लगी घड़ी जीवन को संतुलित और प्रगतिशील बनाने में मदद करती है. इस प्रकार घड़ी का सही प्रयोग हर दृष्टि से लाभकारी सिद्ध होता है.
