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Why Avoid Lahsun Pyaz In Vrat: हिंदू धर्म में प्याज और लहसुन को तामसिक मानकर व्रत और पूजा में वर्जित किया गया है. क्योंकि ये मन को चंचल और साधना में बाधक बनाते हैं.
शाकाहारी होने के बाद भी क्यों व्रत में नहीं खाया जाता लहसुन प्याज
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला तो देवताओं और असुरों में इसे लेकर बड़ा विवाद हुआ. भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत का वितरण शुरू किया. इस दौरान राहु और केतु नामक असुर धोखे से देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत पीने लगे. सूर्य और चंद्र ने इसकी शिकायत की तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका मस्तक काट दिया. कहते हैं कि राहु और केतु के शरीर से गिरे रक्त की बूंदों से प्याज और लहसुन का जन्म हुआ. इसी कारण इन्हें तामसिक और अशुद्ध माना गया और धार्मिक अनुष्ठानों में वर्जित कर दिया गया.इसके अलावा आयुर्वेद में भी प्याज और लहसुन को तीखे, उष्ण और उत्तेजक गुणों वाला माना गया है. ये शरीर की इंद्रियों को उत्तेजित करते हैं और क्रोध, आलस्य तथा कामवासना जैसी प्रवृत्तियों को बढ़ाते हैं. यही कारण है कि योगी, संत और साधु इनसे दूरी बनाकर सात्विक आहार पर ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि उनकी साधना में कोई विघ्न न आए. व्रत का उद्देश्य केवल भूखे रहना नहीं होता बल्कि आत्मसंयम और मन की शुद्धि पर ध्यान केंद्रित करना होता है. इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत के समय सात्विक आहार जैसे फल, दूध, दही, सब्जियां और अनाज का सेवन करें जिससे शरीर हल्का और मन स्थिर बना रहे.
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