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श्री देवनारायण मंदिर, यहां पहाड़ को चीरकर भगवान ने लिया था अवतार, पीएम नरेंद्र मोदी भी झुका चुके हैं शीश

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Agency:Bharat.one Rajasthan

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मालासेरी डूंगरी भगवान श्री देवनारायण की जन्मस्थली यहां की ख्याति और आस्था पूरे देश में फैली हुई है इतना ही नहीं यहां पर भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने दौरे के तहत यहां पहुंचे और भगवान श्री देवनार…और पढ़ें

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भगवान देव नारायण का बाल स्वरूप

हाइलाइट्स

  • भगवान देवनारायण का जन्म भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी में हुआ.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंदिर में शीश झुकाया.
  • भगवान विष्णु ने नीले घोड़े के रूप में अवतार लिया.

भीलवाड़ा. भगवान विष्णु के कई मंदिर देश प्रदेश में देखें होंगे लेकिन आज हम आपको भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे जो विष्णु भगवान के अवतार भगवान देवनारायण की जन्मस्थल है. यहां भगवान देवनारायण ने पहाड़ को चीरकर कमल के फूल में अवतार लिया था. भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील के मालासेरी ग्राम पंचायत के पास स्थित मालासेरी डूंगरी पर भगवान श्री देवनारायण का अवतार हुआ था उनका जन्मोत्सव माघ महा की सप्तमी को मनाया जाता है. भगवान देवनारायण के प्रति आस्था प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैली हुई है. इतना ही नहीं यहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना शीश झुकाया था.

मालासेरी डूंगरी देवनारायण मंदिर के पुजारी हेमराज पोसवाल ने बताया कि भगवान श्री देवनारायण विष्णु के अवतार माने जाते हैं. भगवान विष्णु की सवारी गुरूड़ है उसका भी अवतार नीले घोड़े के रूप में यहां हुआ था. भगवान विष्णु के शेषनाग का भी मालासेरी में अवतार हुआ था. इसी मालासेरी डूंगरी के ऊपर पांच कामधेनु गायों के साथ भगवान श्री देवनारायण के अंग रक्षक और सृष्टि की रचना के समय जो भेरू प्रकट हुए. इस बार भगवान श्री देवनारायण का 1113 वा जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.

इस तरह देवनारायण ने लिया अवतार
मालासेरी मंदिर के पुजारी हेमराज पोसवाल ने कहा कि जब माता साडू की परीक्षा लेने भगवान विष्णु आए तब उन्होंने माता का आशीर्वाद दिया कि जब बगडावतों का युद्ध समाप्त हो जाए तो वह मालसेरी डूंगरी चली जाए. जहां तपस्या के बाद भगवान विष्णु उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे तब माता ने उनसे कहां कि मुझे इसका कैसे विश्वास होगा कि आपका अवतार होगा. तब भगवान विष्णु ने कहा कि भादवी छठ के दिन मालसेरी डूंगरी पर जाकर वहां पत्थर चीरकर देखना तब मेरा वाहन नीला घर घोड़े के रूप में प्रकट होगा. इसके बाद माता साडू ने संवत 968 भादवी छठ को मालासेरी डूंगरी पहुंची तो नीला घर घोड़ को देखा तो उनको विश्वास हो गया और उन्होंने अखंड तपस्या की तब भगवान देवनारायण का अवतरण हुआ. और बाद में भगवान श्री देवनारायण का संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी के दिन अवतार लिया. यह मंदिर गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि सर्व समाज के लिए आस्था का केंद्र है और यहां पर प्रदेश ही नहीं देश भर से श्रद्धाल यहां आते हैं. कईं श्रद्धालु तो पैदल ही यहां सैंकड़ों किलोमीटर चलकर पहुंचते हैं और भगवान देवनारायण का आशीर्वाद लेकर यहां से जाते हैं.

यहां है बड़ा खास अतभूत नीम का पेड़
श्री देवनारायण जन्म स्थली विकास समिति मालासेरी डूंगरी के अध्‍यक्ष जयदेव चाड का कहना है कि भगवान श्री देवनारायण का संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी तारीख शनिवार को सुबह 4 बजे मालासेरी डूंगरी पर कमल के पुष्प में प्रकट हुए थे. यहां पर डूंगरी के अन्‍दर जो पत्‍थर है वह दुनियां में कहीं पर नहीं पाया जाता है. इसके साथ ही एक नीम का पेड़ ऐसा भी है जिसका एक पत्ता कड़वा तो एक मिठ्ठा लगता है.

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श्री देवनारायण मंदिर, यहां पहाड़ को चीरकर भगवान ने लिया था अवतार

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