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सरस्वती पूजा के दिन ना करें ये काम, प्रसन्न होकर मां देगी बुद्धि का भंडार, पंडित से जानें खुश करने के उपाय

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Agency:Bharat.one Bihar

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Saraswati Puja 2025: सरस्वती पूजा के दौरान माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का विधान है. इस दिन पढ़ाई करने वाले छात्र सहित अन्य लोग भी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान माता सरस्वती को प…और पढ़ें

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सरस्वती पूजा के दिन नहीं करनी चाहिए पढ़ाई

हाइलाइट्स

  • सरस्वती पूजा के दौरान पढ़ाई-लिखाई नहीं करनी चाहिए.
  • मां सरस्वती को पीले रंग का पुष्प अर्पित करें.
  • पूजा के दौरान कलम, कॉपी, किताब अर्पित करें.

जमुई. बिहार में वसंत पंचमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर लोग उनकी पूजा आराधना करते हैं. वसंत पंचमी के दौरान मां शारदे की आराधना कर उनसे विद्या और बुद्धि का वरदान मांगते हैं. लेकिन, बिहार में सरस्वती पूजा को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं भी हैं. ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती पूजा के दौरान पढ़ाई-लिखाई नहीं करनी चाहिए.

ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और बुद्धि का भंडार देती हैं. लेकिन, सवाल यह भी है कि जिस विद्या और बुद्धि के लिए मां सरस्वती का आह्वान किया जाता है, अगर पूजा के दौरान पढ़ाई ही ना की जाए, तो आखिर मां सरस्वती प्रसन्न कैसे होगी?

मां सरस्वती को पीले रंग का फूल है अतिप्रिय

कर्मकांडी पंडित गोपाल पांडेय बताते हैं कि सरस्वती पूजा के दौरान माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का विधान है. इस दिन पढ़ाई करने वाले छात्र सहित अन्य लोग भी मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान माता सरस्वती को पीले रंग का पुष्प, नैवेद्य, पीली साड़ी सहित अन्य चीज तो चढ़ाई ही जाती है. इस दौरान छात्र माता सरस्वती के चरणों में कलम, कॉपी, किताब, पेंसिल जैसी चीज भी अर्पित कर देते हैं. पूजा को लेकर यह प्रथा लंबे समय से चली आ रही है और इसी तरीके से उनकी पूजा की जाती है. कहा जाता है की मां शारदे विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं और उनकी आराधना करने से विद्या बुद्धि का भंडार प्राप्त होता है.

इसलिए नहीं करनी चाहिए पढ़ाई-लिखाई 

पंडित गोपाल पांडेय ने बताया कि मां शारदे समर्पण से खुश होती हैं. हम जो भी चीज उन्हें चढ़ाते हैं, वह उन्हें पूर्ण रूपेण समर्पित कर देते हैं. जिसके बाद वह प्रसन्न हो जाती हैं. चाहे धूप, दीप, नैवेद्य हो या किताब, कॉपी, कलम हर चीज मां जानकी को समर्पित कर दिया जाता है. इतना ही नहीं बच्चे पूजा के दौरान दो दिनों तक अपनी पढ़ाई-लिखाई और अपनी शिक्षा-दीक्षा को भी मां के चरणों में समर्पित कर देते हैं. यही कारण है कि इन दो दिनों तक पढ़ाई-लिखाई नहीं की जाती है. हालांकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिन बच्चों की अभी परीक्षाएं चल रही है, वह इस दौरान पढ़ाई-लिखाई भी करेंगे और उसकी तैयारी भी करेंगे. लेकिन लंबे समय से यह परंपरा बिहार में चली आ रही है.

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सरस्वती पूजा के दिन ना करें ये काम, पंडित से जानें खुश करने के उपाय

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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