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सालासर से बाबोसा तक? चूरू के पांच कष्ट निवारण हनुमान मंदिर, जहां हर धोक बन जाती है संजीवनी

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फेमस हनुमान मंदिर चूरू: राजस्थान की आस्था और शौर्य की धरती चूरू जिले में हनुमान भक्तों के लिए कई प्रमुख कष्ट निवारण मंदिर स्थित हैं. इनमें सबसे प्रमुख है सालासर बालाजी सिद्धपीठ, जहां हनुमान जी की कृपा से असाध्य रोग तक दूर होने की मान्यता है. सरदारशहर का इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर भी भक्तों की मन्नतें पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है. गढ़ वाले बालाजी और बाबोसा महाराज का मंदिर भी कष्ट निवारण के लिए पहचान रखते हैं. खासोली बालाजी धाम जंगल में स्थित दिव्य स्थल है, जहां हनुमान जी के बाल्य रूप की प्रतिमा है.

शौर्य और वीरों की धरती राजस्थान में धर्म और आस्था का ऐसा संगम है, जो शायद और कही देखने क़ो नहीं मिलेगा. आस्था का सबसे बड़ा उदाहरण यहां हर गांव और हर शहर में बना प्राचीन मंदिर है. हर एक मंदिर की एक अलग मान्यता और पहचान है. इन मंदिरों से भक्तों की श्रद्धा जुड़ी हुई है. आज हम आपको चूरू के प्रसिद्ध और प्राचीन हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं., जिनके भक्त देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं.

कष्ट निवारण हनुमान मंदिरों की कड़ी में हम सबसे पहले बात चूरू के सिद्धपीठ सालासर बालाजी धाम की करेंगे. मंदिर के पुजारी अरविंद बताते हैं कि सालासर के ठाकुर और जुलियासर के ठाकुर भाई थे. जुलियासर के ठाकुर असाध्य रोग से पीड़ित थे, तो उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना की कि यदि वे ठीक हो जाएंगे, तो सालासर मंदिर में अपनी पत्नी के साथ जोड़े से धोक लगाएंगे. अरदास के बाद उनका रोग ठीक हो गया. इसक बाद उन्होंने पत्नी के साथ सालासर मंदिर में धोक लगाई.

सरदारशहर का इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर भी राजस्थान के प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में शुमार है और इस मंदिर का नाम ही इच्छापूर्ण बालाजी है. भक्तों के बड़े से बड़े कष्ट का यहां बाबा के मात्र धोक लगाने से निवारण होता है. सरदारशहर से करीब आठ किलोमीटर दूर रतनगढ़ -गंगानगर हाइवे पर स्थित इस मंदिर का निर्माण उद्योगपति मूलचंद विकास कुमार मालू ने द्रविड़ शैली मे करवाया था.

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शहर के गोपी शर्मा बताते हैं कि चूरू के गढ़ वाले बालाजी भी बड़ा आस्था का केन्द्र है. गढ़ निर्माण के वक्त इस मंदिर की स्थापना हुई थी. गढ़ वाले बालाजी की भी पहचान कष्ट निवारण हनुमान के रूप में है .प्राचीन मंदिर में बाजार के व्यापारी वर्ग के आने का सिलसिला दिनभर लगा रहता है. मंदिर में 35 वर्षों से अखंड ज्योत प्रज्वलित है और श्रद्धा के साथ महज एक बार मंदिर में धोक लगाने से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं.

बाबोसा महाराज का मुख्य मंदिर भी चूरू में स्थित है. बाबोसा महाराज क़ो बालाजी का ही रूप बताया जाता है और दिल्ली, मुंबई और दूर-दराज के राज्यों से श्रद्धांलु बाबोसा महाराज के धोक लगाने चूरू आते हैं. बाबोसा मंदिर की भी पहचान कष्ट निवारण मंदिर के रूप में है, जहां महज एक अरदास भक्तों के बिगड़े काम बनाती है.

संकटमोचन खासोली बालाजी धाम मंदिर की पहचान कष्टनिवारण हनुमान मंदिर के रूप में है. चूरू-बिसाऊ सड़क मार्ग पर जंगल में मंगल इस मंदिर की बदौलत हुआ. आज शेखावाटी ही नहीं बल्कि दूर-दराज तक बालाजी महाराज की बाल्य रूप की यह प्रतिमा भक्तों क़ो अपनी और आकर्षित करती है. अनेकों चमत्कार के बल पर इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है. श्रद्धा और आस्था के साथ बाबा के धोक मात्र से भक्तों के बड़े से बड़े काम बन जाते हैं और कष्ट टल जाते है.

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ये हैं चूरू के 5 प्राचीन हनुमान मंदिर, धोक लगाने मात्र से कष्ट हो जाते हैं दूर

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