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Ayodhya News: हनुमान जी महाराज की आराधना करने मात्र से ही सभी कार्य पूरे होते हैं. इस कलयुग में हनुमान जी महाराज जागृत रूप में विराजमान है. ऐसा आशीर्वाद उन्हें माता जानकी ने दिया है.
दरअसल, हनुमान जी महाराज की आराधना करने मात्र से ही सभी कार्य पूरे होते हैं. इस कलयुग में हनुमान जी महाराज जागृत रूप में विराजमान है. ऐसा आशीर्वाद उन्हें माता जानकी ने दिया है. ऐसी स्थिति में अगर आप सुंदरकांड के चौपाई का अनुसरण कर रहे हैं, तो आपको उसका अर्थ भी पता होना चाहिए तभी उसका पुण्य आपको प्राप्त होगा.
अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता।।”
चौपाई का भावार्थ:
प्रीत न पद सरोज मन माहीं: इसका मतलब है कि मेरे मन में श्री राम के चरण कमलों के प्रति प्रेम भी नहीं है.
अब मोहि भा भरोस हनुमंता: विभीषण कहते हैं कि अब उन्हें हनुमानजी पर पूरा विश्वास हो गया है.
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता: इस कथन का अर्थ है कि श्री राम की कृपा के बिना कोई संत नहीं मिलता.
यह चौपाई श्री राम के प्रति विभीषण के गहरे प्रेम और उनके समर्पण को दर्शाती है, जो उन्हें हनुमानजी से मिला और रामजी की कृपा के महत्व को उजागर करती है.