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Sundarkand Path: कलयुग में हनुमान जी को जागृत देवता माना जाता है. माना जाता है कि रोजाना सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. ऐसे में सुंदरकांड की कुछ चौपाई का खास महत्व है. आइए जानते हैं.
अयोध्या: अगर आप जीवन में परेशान हैं. परेशानियों से मुक्ति नहीं मिल रही है. जीवन में डर और भय लगा रहता है, तो ऐसी स्थिति में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के बाद आप प्रतिदिन अगर हनुमान जी महाराज की आराधना करते हैं या फिर शनिवार और मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो ऐसा करने से जीवन की सभी परेशानियां खत्म होती हैं. हनुमान जी महाराज इस कलयुग में ऐसे देवता हैं. जो जागृत रूप में विराजमान हैं. उनका नाम लेने मात्र से ही सभी परेशानियां दूर होती हैं. ऐसी स्थिति में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ जरूर करना चाहिए. सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी महाराज की विशेष कृपा प्राप्त होती है, तो चलिए इस रिपोर्ट में सुंदरकांड के कुछ चमत्कारी दोहे और चौपाई के बारे में विस्तार से जानते हैं. जिसका अनुसरण करने से हनुमान जी महाराज बेहद प्रसन्न होते हैं.
तब देखी मुद्रिका मनोहर, राम नाम अंकित अति सुंदर…अर्थात जब लंका में हनुमान जी महाराज की प्रभु राम का मुद्रिका माता सीता को दिया तो माता सीता उसे देखकर बेहद प्रसन्न हुई उस मुद्रिका में प्रभु राम का नाम भी अंकित था.
चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी…अर्थात माता सीता उस मुद्रिका को पहचान लेती हैं कि यह प्रभु राम का ही है इससे उनके हृदय में हर्ष और खुशी उत्पन्न होती है.
शशिकांत दास बताते हैं कि सुंदरकांड के इस सोरठा में हनुमान जी महाराज और माता सीता से संवाद को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें प्रभु राम का मंदिर का माता सीता को हनुमान जी देते हैं. सुंदरकांड के इस सोरठा के अनुसरण करने से व्यक्ति को प्रभु राम के साथ हनुमान जी महाराज की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है .
पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 में नई दुनिया अखबार से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों …और पढ़ें
पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 में नई दुनिया अखबार से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों … और पढ़ें