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29 मार्च का दिन बेहद खास, सूर्य ग्रहण के साथ होने वाली हैं ये 6 बड़ी घटनाएं, पूरी दुनिया पर होगा असर

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29 मार्च दिन शनिवार का दिन भारत के अलावा पूरे विश्व के लिए बेहद खास होने वाला है. दरअसल इस दिन एक नहीं बल्कि 6 ऐसी घटनाएं होने वाली हैं, जिनका देश दुनिया, आर्थिक स्थिति, अर्थव्यवस्था, राजनीति, 12 राशियां, मनुष्य समेत जीव जंतु पर भी पड़ेगा. 29 मार्च को चैत्र मास के कृष्ण की अमावस्या तिथि और अगले दिन से चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत भी हो जाएगी. 29 मार्च को घटित होने वाली इन 6 घटनाओं का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा बहुत दुर्लभ होता है कि एक ही दिन 6 बड़ी चीजें होने जा रही हों, जिसका पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़े. आइए जानते हैं 29 मार्च दिन शनिवार को कौन सी 6 बड़ी घटनाएं होने वाली हैं…

सूर्य ग्रहण 2025
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च दिन शनिवार को लगने वाला है. हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण कहीं दिखाई दे या ना दें लेकिन इसका प्रभाव देश दुनिया समेत मेष से मीन तक सभी 12 राशियों पर पड़ता है. 29 मार्च को लगने वाला सूर्य ग्रहण मीन राशि और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में घटित होने वाला है. यह ग्रहण दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और शाम 6 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा. बता दें कि पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है.

चैत्र अमावस्या 2025
29 मार्च को चैत्र अमावस्या का पर्व भी मनाया जाएगा और हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम का तर्पण और पिंडदान किया जाता है, ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. चैत्र अमावस्या के दिन दान और धर्म कर्म के कार्यों को करने का विशेष महत्व बताया गया है. माह के 30 दिन को चंद्र कला के आधार पर 15 15 दिन के 2 पक्ष, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बांटा गया है. शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं.

शनि अमावस्या 2025
29 मार्च को शनि अमावस्या है. जब अमावस्या तिथि शनिवार के दिन पड़ती है, तब वह अमावस्या शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं. शनि अमावस्या को न्याय के देवता व कर्म के कारक ग्रह शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है. जो जातक शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित होता है, उनके लिए शनि अमावस्या का दिन बेहद उत्तम माना जाता है. इस शनिदेव की पूजा अर्चना और शनि से संबंधित चीजों का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि दोष के अशुभ प्रभाव में कमी भी आती है. शनि अमावस्या का दिन संकटों के समाधान के लिए विशेष महत्व रखता है.

शनि का मीन राशि में गोचर
29 मार्च को शनिदेव अपनी राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करने वाले हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सभी ग्रहों में शनिदेव सबसे मंद गति से चलते हैं इसलिए एक राशि में ढाई वर्ष का समय गुजारते हैं. 30 साल बाद शनिदेव गुरु ग्रह की राशि मीन में गोचर करेंगे, जिसका मेष से मीन तक सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा. शनिदेव के मीन राशि में आने से कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव खत्म हो जाएगा और सिंह और धनु राशि वालों पर शुरू हो जाएगा. वहीं मकर राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी तो कुंभ, मीन और मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी.

मीन राशि में 6 ग्रहों का संयोग
29 मार्च दिन शनिवार को 100 साल बाद ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसका प्रभाव देश-दुनिया, करियर, मेष से मीन तक सभी 12 राशियों पर पड़ेगा. 29 मार्च को मीन राशि में शनि, सूर्य, बुध, चंद्रमा, राहु और शुक्र ग्रह विराजमान रहेंगे. एक राशि में बड़े बड़े ग्रहों का होना, ये कोई छोटी मोटी बात नहीं है. ग्रहों के इस दुर्लभ संयोग से लक्ष्मी नारायण योग, बुधादित्य समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, वहीं राहु और शनि की युति से पिशाच योग और शनि और चंद्रमा की युति से विष योग समेत कई अशुभ योग भी बन रहे हैं, जिनका प्रभाव सभी पर पड़ने वाला है.

विक्रम संवत 2081 का अंतिम दिन
29 मार्च को विक्रम संवत 2081 का अंतिम दिन होने वाला है और अंतिम दिन ही कई बड़ी बड़ी घटनाएं होने वाली है. अगले दिन से यानी 30 मार्च से हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में हुई थी और इसे भारतीय उपमहाद्वीप में काफी इस्तेमाल किया जाता है. विक्रम संवत में 12 महीने होते हैं और एक साल में 354 दिन माने जाते हैं. विक्रम संवत 2081 का नाम पिंगल है, जिसकी शुरुआत मंगलवार से हुई थी.

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