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Chhath Puja 2025: When does the festival of Chhath Puja begin? Learn from Ujjain’s Acharya the auspicious date of Nahay Khay. – Madhya Pradesh News

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Chhath Puja Kab Hai 2025 : हर साल कार्तिक मास के षष्ठी तिथि से छठ पर्व का आरंभ हो जाता है. इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन हो जाता है. इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सुख-समृद्धि व संतान के सुख की कामना करती हैं.

Chhath Puja 2025. हिंदू धर्म में हर तिथि हर वार के साथ माह का भी विशेष महत्व होता है. इन्ही माह में से कार्तिक मास व्रतों और त्योहारों का महीना माना जाता है. 20 अक्टूबर को पूरे देश में दिवाली मनाई गई. अब लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. छठ पूजा छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा का अनूठा त्योहार है. इस त्योहार में प्रकृति और आस्था का संगम देखने को मिलता है. इस पर्व में महिलाओं और पुरुषों द्वारा संतान के जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखा जाता है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते है इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा.

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी. ये त्योहार 28 अक्टूबर तक चलेगा. 25 अक्टूबर को ये पर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा, फिर तीसरे दिन 27 अक्टूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पूजा के आखिरी दिन 28 अक्टूबर को उदयागामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसी के साथ ये पर्व समाप्त हो जाएगा.

पहला दिन – इस दिन व्रती सुरज निकलने से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं. यानी स्नान करते हैं. इसके बाद घरों में साफ-सफाई की जाती है. फिर चना दाल, कद्दू और चावल का प्रसाद तैयार किया जाता है. ये प्रसाद व्रती और उसके परिवार द्वारा ग्रहण किया जाता है. स्कंद पूराण में बताया गया है कि इस दिन से छठी मैया की कृपा शुरु होती है.

दूसरा दिन – छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है. इस दिन व्रतियों द्वारा लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है. फिर इसके बाद व्रती प्रसाद को खाते हैं. इसके बाद शुरू होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत. मान्यताओं के अनुसार, खरना के बाद से छठी मैया घर में विराजमान होती हैं.

तीसरा दिन – डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन निर्जला उपवास रखते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. सूर्यदेव को ये अर्घ्य बांस के सूप में फल, ठेकुआ और मिठाई के साथ दिया जाता है.

चौथा दिन – छठ पूजा के चौथे यानी आखिरी दिन व्रती नदी किनारे उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं. फिर उसके बाद सात या ग्यारह परिक्रमा करते हैं. इसके बाद व्रत खोलते हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a… और पढ़ें

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Chhath Puja: कब है छठ पूजा की शुरुआत? निर्जला व्रत से लेकर सूर्य को अर्घ्य तक

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