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dev diwali festival significance and ganga aarti importance sa

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अहमदाबाद: देव दीपावली का त्योहार दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है. हिंदू धर्म में देव दीपावली का विशेष महत्व है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन काशी, भगवान शिव के शहर में गंगा आरती का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से धरती पर आते हैं और दीपोत्सव मनाते हैं. चलिए, इस गंगा आरती के धार्मिक महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हैं.

देव दीपावली का विशेष महत्व
अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ रविभाई जोशी के अनुसार, दिवाली का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन देवता गंगा में स्नान करके दीपोत्सव मनाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण किया था. साथ ही, भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इस दिन काशी के घाटों पर दीप जलाए जाते हैं और भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है.

शिव पुराण में देव दीपावली का उल्लेख
देव दीपावली का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है. जब भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया, तो तारकासुर के तीन पुत्रों ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया ताकि अपने पिता की मृत्यु का बदला ले सकें. ब्रह्मा जी ने उन्हें अमरता का वरदान देने के बजाय अन्य वर मांगने को कहा. त्रिपुरासुर ने तीन अलग-अलग नगरों की मांग की और वरदान मांगा कि जब ये तीन नगर एक सीध में आएंगे, तब ही कोई उन्हें नष्ट कर सकेगा.

इस वरदान के बाद, त्रिपुरासुर ने पूरे ब्रह्मांड में आतंक मचाना शुरू कर दिया और देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. त्रिपुरासुर के आतंक से बचने के लिए देवता शिव जी के पास गए और उनकी रक्षा की प्रार्थना की. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा अर्थात देव दीपावली के दिन त्रिपुरासुर का वध किया. तब सभी देवता शिव जी के शहर काशी आए, गंगा में स्नान किया और नदी के किनारे दीप जलाकर दिवाली मनाने लगे.

गंगा आरती और स्नान का महत्व
तब से देव दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन वाराणसी में विशेष रूप से गंगा आरती का आयोजन किया जाता है. गंगा घाट को विभिन्न रोशनी से सजाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई गंगा में स्नान करता है और भगवान शिव की पूजा करता है, या ध्यान करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है. जो लोग गंगा में स्नान नहीं कर सकते, वे गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं, इससे भी उन्हें शुभ फल मिलते हैं.

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इसके अतिरिक्त, इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना या उनकी कथा सुनना भी बहुत लाभकारी माना जाता है. इसके साथ ही, इस दिन अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए दीप जलाने से पूर्वजों की विशेष कृपा बनी रहती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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