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Diwali 2024 : केवल दीया ही नहीं…मिट्टी के बने इन पांच सामानों की भी जरूर करें खरीदारी, घर में आएगी सुख-समृद्धि

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गोपालगंज. दीपों के त्योहार दीपावली में मिट्टी का दीया जलाने की परंपरा है. इसकी धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपावली में दिया के साथ मिट्टी के पांच अन्य सामान भी खरीदे जाते हैं, जिसका महत्व दीपावली और लक्ष्मी पूजा में काफी अहम है. इन पांच समानों में शामिल है… मिट्टी की पंचकुलिया, मिट्टी का जांत, मिट्टी की घंटी, मिट्टी का चूल्हा और मिट्टी का हाथी.

दीपावली की रात जब मां लक्ष्मी की पूजा होती है, तब इन पांच सामानों को पूजन सामग्री के साथ ही मां लक्ष्मी के सामने रखा जाता है. सभी सामानों का अलग-अलग महत्व लक्ष्मी पूजा में है. बुजुर्ग मुखदेव पड़ित बताते हैं कि शुरु से ही लक्ष्मी पूजा में इन पांच समानों को शामिल करने की हमारी परंपरा रही है.

पंचकुलिया में लाई- बताशा रख कर मां लक्ष्मी को चढ़ता है प्रसाद 
पंचकुलिया फूलडाली के आकार का बना होता है, जिसमें चार छोटे- छोटे खंड होते हैं. अस पंचकुलिया में लाई- बताशा का प्रसाद रख कर मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है. मान्यता है मिट्टी के बने बर्तनों को सबसे शुद्ध माना जाता है. धार्मिक अनुष्ठान उसका प्रयोग किया जाता है. इसलिये दीपावली में भी प्रसाद के लिये  मिट्टी के इस पात्र का प्रयोग किया जाता है.

पूजा घर में रखी जाती है मिट्टी की घंटी 
अक्सर मां लक्ष्मी की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं होता है. लेकिन मिट्टी के बने घंटी को मां लक्ष्मी के पूजा के दौरान बजाया जाता है. क्योंकि इस घंटे को पवित्र माना जाता है. इसमें पूजा घर में रखा जाता है.

अनाज की समृद्धि का प्रतीक है जांत 
जांत एक परंपरागत कृषि औजार है, जिसे लोग चना, अरहर  समेत अन्य दलहन और आनााज आदि की कुटाई करते हैं. मिट्टी के बने इस जांत को मां लक्ष्मी के समर्पित किया जाता है. और खेत खलियान के समृद्धि की कामना की जाती है. इससे अनाज घर में समृद्ध आती है.

चूल्हा भी है समृद्धि का प्रतीक
सनातन धर्म हर एक धार्मिक अनुष्ठान में मिट्टी के चूल्हे पर ही बने प्रसाद को भगवान को अर्पित किया जाता है.  इसी तरह लक्ष्मी पूजा में मिट्टी का छोटा चूल्हा पूजन सामग्री के साथ रखा जाता है. यह भी समृद्धि का प्रतीक है.

छठ पूजा के लिए हाथी की होती है खरीदारी
मिट्टी के बने हाथी की खरीदारी भी दीपावली में ही की जाती हैं, लेकिन इसके उपयोग छठ पूजा के कोसी  के दौरान किया जाता है. इसे भी समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

सौ रुपए में मिल जाते हैं सभी पांच सामान 
शहर के हाजियापुर में मिट्टी के दिया तथा अन्स सामान बना रहे रामाजी पड़ित बताते हैं पंचकुलिया, जांत, चुल्हा, घंटी और हाथी यह सभी सीट मात्र ₹100 मिल जाते हैं. लेकिन नए जमाने के लोग इससे परहेज करने लगे हैं. दिया के अपेक्षा इन समानों की बिक्री कम होती है. लेकिन यह हमारी परंपरा का पहचान है. आज भी परंपरा को सहेज कर रखने की सोच लेकर चलने वाले लोग इन पांच समान खरीदारी करते हैं.

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