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Diwali in Ujjain: महाकाल का दरबार रौशनी से जगमग, संध्या आरती में जली फूलझड़ी, हुई दीपोत्सव की शुरूआत

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Mahakal Mandir Deepotsav: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में हर पर्व की शुरुआत सबसे पहले होती है. रमा एकादशी से दीपोत्सव पर्व का प्रारंभ हुआ. संध्या आरती में धार्मिक मान्यताओ का निर्वहन करते हुए मंदिर में भगवान के समक्ष फुलझड़ी जलायी गई. सम्पूर्ण मंदिर परिसर को विद्युत रोशनी से सजाया गया.

शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में हर पर्व की शुरुआत सबसे पहले महाकाल के दरबार से होती है. दिवाली के पहले ही महाकाल मंदिर में उत्सव देखने को मिल रहा है. शुक्रवार से बाबा के दरबार मे उत्सव प्रारंभ हुआ. इस अवसर पर मंदिर परिसर आकर्षक रोशनी से जगमगा उठा और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

उज्जैन बाबा महाकाल के दरबार मे परंपरा अनुसार महाकालेश्वर मंदिर में सभी त्यौहार देश से पहले मनाए जाते हैं. शुक्रवार को भगवान महाकाल का संध्या पूजन किया गया, जिसके बाद उनका विशेष श्रृंगार किया गया. संध्या आरती के समय दीप और फूलझड़ी जलाकर दीपावली पर्व का विधिवत प्रारंभ किया गया.

महाकाल के आंगन से होती है शुरुआत
मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि राजा महाकाल के आंगन में सभी पर्व सबसे पहले मनाए जाने की परंपरा है. दीपोत्सव पर्व की शुरुआत के बाद अब सभी आरती के दौरान भगवान के समक्ष फूलझड़ी जलाई जाएंगी.शनिवार को मंदिर में धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा.दीपावली महापर्व के लिए महाकाल मंदिर के शिखर सहित पूरे परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा से रोशन किया गया है. पूरा मंदिर परिसर रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया हुआ दिखाई दे रहा है.

महाकाल के दरबार से होती है हर पर्व की शुरुआत 
महाकाल मंदिर के पुजारी पं. महेश गुरु ने बताया कि महाकाल मंदिर में परंपरा अनुसार हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहार एक दिन पहले मनाए जाते हैं. मान्यता है कि भगवान महाकाल अवंतिका के राजा हैं, इसलिए त्योहार की शुरुआत राजा के आंगन से होती है.इसके बाद प्रजा उत्सव मनाती है. इसलिए आज से दीपोत्सव की शुरुआत हुई.

उज्जैन के राजा को लगेगा अन्नकूट
महाकाल मंदिर में रूप चतुर्दशी पर दीपावली मनाने की परंपरा है. इस बार 20 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का महासंयोग बन रहा है. तड़के 4 बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को केसर चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराएंगे. पश्चात नवीन वस्त्र सोने, चांदी के आभूषण से विशेष शृंगार किया जाएगा. भगवान को अन्नकूट में पारंपरिक छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी.

shweta singh

Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें

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महाकाल का दरबार रौशनी से जगमग, संध्या आरती में जली फूलझड़ी, दीपोत्सव की शुरूआत

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