अभिषेक जायसवाल/वाराणसी : यूपी के वाराणसी में कई ऐसी चीजें देखने को मिलती हैं, जहां विज्ञान भी फेल साबित होता है. शहर के मध्य मदनपुर क्षेत्र के प्राचीन दुर्गा बाड़ी में स्थित 257 साल पुरानी मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने भी विज्ञान फेल होता नजर आता है.अब इसे चमत्कार कहें या कुछ और लेकिन दुर्गा बाड़ी में स्थित मिट्टी और पुआल से बनी यह प्रतिमा 257 साल बाद भी बिल्कुल ज्यों की त्यों है.
देवी के इस चमत्कारिक प्रतिमा को जो भी देखता है वो इसे देख हैरत में पड़ जाता है.ऐसा इसलिए क्योंकि मिट्टी और पुआल से बनी ऐसी साधारण प्रतिमा इतने सालों तक नहीं रह सकती, लेकिन भक्तों का ऐसा मानना है कि इस प्रतिमा में स्वयं मां दुर्गा विराजमान है. इसलिए इनके दर्शन के लिए दूर दूर से लोग यहां आते हैं.
1767 में हुई थी स्थापना
दरसअल इस प्रतिमा की स्थापना और यहां देवी के विराजमान होने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है.आज से 257 साल पहले 1767 में पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले मखोपाध्याय (मुखर्जी) परिवार के मुखिया ने शारदीय नवरात्र में की थी.
नहीं हिल पाई देवी की प्रतिमा
परिवार से जुड़ी रीना ने बताया कि उस समय पूरे नौ दिन पूजा के बाद जब मिट्टी और पुआल से बनी देवी की पांच फीट की प्रतिमा को दशमी के दिन विसर्जन के लिए उठाने का प्रयास किया तो देवी अपने स्थान से नहीं हिली.
मैं काशी में रहूंगी
उसके अगले दिन फिर और लोगों ने मिलकर इसे उठाने का प्रयास किया, लेकिन प्रतिमा न हिलने के कारण मुखर्जी परिवार के लोग मायूस हो गए. उसी रात देवी ने परिवार के मुखिया को स्वप्न में कहा कि वो काशी में ही विराजमान होना चाहती है.बस तभी से देवी की यह प्रतिमा यहां विराजमान हो गई और पूरे 365 दिन उनकी पूजा होने लगी.
लगता है चना गुड़ का भोग
देवी के आदेश के मुताबिक ही हर दिन उन्हें चना गुड़ का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा नवरात्रि के दिनों में यहां नौ दिनों तक विशेष पूजा आराधना होती है. इस दौरान भक्तों की खासी भीड़ भी यहां देखने को मिलती है.
FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 14:01 IST
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