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Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी 24 फरवरी दिन सोमवार को है. फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत रखा जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि विजया एकादशी व्रत कथा, म…और पढ़ें

विजया एकादशी व्रत कथा.
हाइलाइट्स
- विजया एकादशी 24 फरवरी को है.
- व्रत से कठिन कार्यों में सफलता मिलती है.
- पूजा का समय सुबह 6:50 से 9:08 बजे तक.
Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को कठिन से कठिन कार्य में सफलता प्राप्त होती है. हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत रखा जाता है. इस बार की विजया एकादशी 24 फरवरी दिन सोमवार को है. उस दिन भगवान विष्णु की पूजा सिद्धि योग में करने से आपके कार्य सफल सिद्ध होंगे. व्रत के दिन सुबह में विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें और विजया एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि विजया एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय के बारे में. उनका कहना है कि पद्म पुराण और स्कंद पुराण में विजया एकादशी व्रत की महिमा के बारे में बताया गया है.
विजया एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि आप फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत के बारे में बताएं. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि फाल्गुन कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. विजया एकादशी लोगों को कार्यों में सफलता, पापों से मुक्ति, मोक्ष और हरि कृपा दिलाने वाली एकादशी है. ब्रह्म देव ने नारद मुनि को विजया एकादशी के महत्व को बताया था, वह तुमसे कहता हूं.
कथा के अनुसार, त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ को 4 पुत्र हुए थे. राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न. दशरथ की दूसरी पत्नी कैकेयी ने उनसे राम के लिए 14 साल का वनवास और भरत को सिंहासन मांगा. जिसके फलस्वरूप राम अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ वन चले गए. वहां पर रावण ने सीता का हरण किया और लंका ले गया. वानर सेना की मदद से राम ने सीता की खोज करायी. फिर उन्होंने लंका पर आक्रमण करने का फैसला किया.
लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि विशाल समुद्र को पार कैसे किया जाए? इस बारे में सभी लोग सोच रहे थे. एक दिन लक्ष्मण ने बताया कि वहां से कुछ दूर पर वकदालभ्य ऋषि का आश्रम है. उनके पास चला जाए, वे समुद्र पार करने और लंका तक पहुंचने का मार्ग बता सकते हैं. इस पर राम वकदालभ्य ऋषि के आश्रम में पहुंचे और उनको प्रणाम करके आने का कारण बताया.
तब वकदालभ्य ऋषि ने उनको बताया कि आपको विजया एकादशी यानि फाल्गुन कृष्ण एकादशी का व्रत करना चाहिए. इसमें आप भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और व्रत रखें. यह व्रत आपको अपने भाई, सेनापति और अन्य सहयोगियों के साथ करना होगा. ऋषि ने उनको विजया एकादशी की व्रत विधि भी बताई. उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से कठिन से कठिन कार्य भी सफल हो जाते है.
राम वापस वानर सेना के पास आ गए. फाल्गुन कृष्ण एकादशी को उन्होंने विजया एकादशी व्रत रखा और विधि विधान से विष्णु पूजा की. वकदालभ्य ऋषि के बताए अनुसार की पूरा व्रत किया गया. उस व्रत के पुण्य प्रभाव से वानर सेना समुद्र पर सेतु बनाकर उस पार चली गई और लंका पर आक्रमण करके विजया प्राप्त की. राम के हाथों रावण का अंत हुआ और सीता अशोक वाटिक से मुक्त हुईं. फिर राम, लक्ष्मण और सीता अयोध्या लौट आए. इस प्रकार से जो भी व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत करता है, उसे अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती है.
विजया एकादशी 2025 मुहूर्त और पारण समय
फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ: 23 फरवरी, रविवार, दोपहर 1 बजकर 55 से
फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 24 फरवरी, सोमवार, दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर
सिद्धि योग: प्रात:काल से सुबह 10 बजकर 05 मिनट तक, फिर व्यतीपात योग
पूर्वाषाढ नक्षत्र: प्रात:काल से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक, फिर उत्तराषाढ नक्षत्र
विजया एकादशी व्रत पारण समय: 25 फरवरी, सुबह 6:50 बजे से सुबह 9:08 बजे तक
द्वादशी तिथि का समापन: 25 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर
February 22, 2025, 10:21 IST
विजया एकादशी कल, विष्णु पूजा समय पढ़ें यह व्रत कथा, जानें मुहूर्त, पारण समय