Daily Habits: किसी इंसान की ज़िंदगी को सबसे ज़्यादा कोई चीज़ प्रभावित करती है, तो वो है उसका आहार, उसके विचार और उसका व्यवहार. हम रोज़ क्या खाते हैं, किन लोगों के साथ उठते-बैठते हैं और जिस माहौल में रहते हैं, वही धीरे-धीरे हमारी सोच और आदतों को आकार देता है. कई लोग मानते हैं कि इंसान जो चाहे सोच सकता है, लेकिन सच ये है कि हम क्या सोचेंगे, ये पूरी तरह हमारे कंट्रोल में नहीं होता. हमारे आसपास जो दिखता है, जो सुनाई देता है और जो माहौल हमें घेर कर रखता है, वही हमारे दिमाग में नए विचार पैदा करता है. इसलिए एनवायरमेंट सिर्फ एक जगह नहीं होती, बल्कि वो एक फीलिंग होती है, जो हमें हर पल प्रभावित करती है. चाहे वो आपका घर हो, आपके कपड़े हों या वो लोग जिनके साथ आप वक्त बिताते हैं, अगर आप अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं, बेहतर महसूस करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने आसपास की चीज़ों पर ध्यान देना होगा. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.
आहार, विचार और व्यवहार का सीधा कनेक्शन
हम जो खाते हैं, उसका असर सिर्फ शरीर पर नहीं, दिमाग पर भी पड़ता है. हल्का, साफ और सही खाना आपको शांत और पॉजिटिव रखता है. वहीं गलत खानपान आपको चिड़चिड़ा और सुस्त बना सकता है. इसी तरह विचार भी कहीं से अचानक नहीं आते. आपके दोस्त, आपका सोशल सर्कल, आपकी स्क्रीन और आपका घर, सब मिलकर आपके सोचने का तरीका तय करते हैं. व्यवहार उन्हीं विचारों का बाहर आने वाला रूप है.
एनवायरमेंट कैसे आपकी सोच बदल देता है
अब इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आप ऐसे घर में रहते हैं जहां आपके कमरे से एक खूबसूरत बालकनी जुड़ी है. सुबह उठते ही आप दरवाजा खोलते हैं और सामने खुला समुद्र दिखाई देता है. वहां कोई खास इंसान नहीं है, फिर भी आपको अंदर से एक अलग ही ताकत महसूस होती है. आपको लगता है जैसे “मैं कुछ खास हूं.” यही वजह है कि सी फेसिंग अपार्टमेंट्स इतने महंगे होते हैं. आप रोज़ समुद्र में नहाने नहीं जाते, फिर भी उसकी कीमत उसकी फीलिंग की वजह से होती है.

कपड़े और रंग भी खेल बदल देते हैं
आप अच्छे कपड़े पहनते हैं, अच्छे रंग चुनते हैं, क्योंकि वो आपको अच्छा महसूस कराते हैं. जब आप खुद को बेहतर महसूस करते हैं, तो आपका कॉन्फिडेंस अपने आप बढ़ जाता है. यही फील गुड फैक्टर आपको दूसरों से अलग बनाता है. ये कोई दिखावा नहीं, बल्कि दिमाग की एक नैचुरल प्रक्रिया है.
आप क्या सोचेंगे, ये आप तय नहीं करते
इंसान कुछ भी सोच सकता है, लेकिन वो क्या सोचेगा, ये काफी हद तक उसके आसपास की चीज़ें तय करती हैं. इसलिए अगर आप अपनी सोच बदलना चाहते हैं, तो पहले अपना माहौल बदलना शुरू करें. बेहतर लोगों के साथ रहें, साफ-सुथरे और पॉजिटिव एनवायरमेंट में वक्त बिताएं और ऐसी चीज़ें चुनें जो आपको ऊपर उठाएं.
छोटे बदलाव, बड़ा असर
घर की सजावट, रोशनी, हवा, संगीत और यहां तक कि आपके कपड़े भी आपकी सोच को प्रभावित करते हैं. जब आप इन छोटी चीज़ों को सही करते हैं, तो धीरे-धीरे आपकी ज़िंदगी का पैटर्न बदलने लगता है.
