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Ganesh Chaturthi 2024: 6 शुभ संयोग में गणेश चतुर्थी आज, पूजा के लिए ढाई घंटे है मुहूर्त, जानें पूजन विधि, मंत्र, भोग

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आज 7 सितंबर शनिवार को गणेश चतुर्थी है. यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को 6 शुभ संयोग में है. यह गणेश चतुर्थी ब्रह्म, इंद्र, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में है, वहीं इस दिन चित्रा और स्वाति नक्षत्र का भी सुंदर मेल हुआ है. गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए आज ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त है. इस समय में ही आपको गणेश जी की स्थापना करके उनकी पूजा विधि विधान से कर लेनी चाहिए. आज के दिन व्रत रखकर पूजा करने से हर कार्य बिना विघ्न के पूरे होते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, मंत्र, भोग, पूजा सामग्री आदि के बारे में.

6 शुभ योग में गणेश चतुर्थी 2024
1. ब्रह्म योग: सुबह 06:02 बजे से रात 11:17 बजे तक.
2. इंद्र योग: रात 11:17 बजे से कल पूरे दिन.
3. रवि योग: सुबह 06:02 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक.
4. सर्वार्थ सिद्धि योग: दोपहर 12:34 बजे से कल सुबह 06:03 बजे तक.
5. चित्रा नक्षत्र: प्रात:काल से दोपहर 12:34 बजे तक
6. स्वाति नक्षत्र: दोपहर 12:34 बजे से कल दोपहर 03:31 बजे तक.

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गणेश चतुर्थी 2024 मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 6 सितंबर, शुक्रवार, दोपहर 03:01 बजे से
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: 7 सितंबर, शनिवार, शाम 05:37 बजे तक
गणेश पूजा मुहूर्त: 11:03 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक

गणेश चतुर्थी 2024 शुभ चौघड़िया मुहूर्त
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 07:36 ए एम से 09:10 ए एम
चर-सामान्य मुहूर्त: 12:19 पी एम से 01:53 पी एम
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 01:53 पी एम से 03:27 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 03:27 पी एम से 05:01 पी एम

गणेश चतुर्थी की पूजा सामग्री
गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति, एक चौकी, पीले रंग का नया कपड़ा, केले के पौधे, पताका, गणेश जी के लिए नए वस्त्र, जनेऊ, गंगाजल, पंचामृत, अक्षत्, चंदन, फूल, माला, दूर्वा, धूप, दीप, गंध, पान का पत्ता, सुपारी, रक्षासूत्र या मौली, कलश, नारियल, पंचमेवा, आम के पत्ते, पवित्री, कपूर, सिंदूर, गाय का घी, सेब, केला आदि मौसमी फल, नैवेद्य, भोग के लिए मोदक या फिर लड्डू.

गणेश चतुर्थी 2024 पूजा मंत्र
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

2. ॐ गं गणपतये नमः।

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गणेश चतुर्थी 2024 पूजा विधि
सर्वप्रथम शुभ मुहूर्त में आप अपने घर के आंगन या पूजा स्थान पर मंडप बनाकर उसे अच्छे से सजा लें. फिर ईशान कोण में भगवान गणेश जी की सुंदर मूर्ति की स्थापना एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर करें. उसके लिए अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।। मंत्र का उच्चारण करें.

इसके बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का पंचामृत स्नान और गंगाजल से अभिषेक करें. उनको चंदन, फूल, माला, वस्त्र, जनेऊ आदि से सुशोभित करें. फिर अक्षत्, चंदन, सिंदूर, फूल, दूर्वा, धूप, दीप आदि से विघ्नहर्ता गणपति महाराज की पूजा करें.

फिर गणपति बप्पा को मोदक, लड्डू, केला, नारियल आदि का भोग लगाएं. गणेश चतुर्थी की व्रत कथा और श्री संकटनाशन श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करें. उसके बाद गणेश जी की आरती करें. पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए मनोकामना पूर्ति का निवेदन करें. गणेश जी की कृपा से आपके संकट मिटेंगे और काम सफल सिद्ध होंगे. पूजा के बाद लोगों में प्रसाद वितरित कर दें.

गणेश चतुर्थी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने उबटन से एक बालक की रचना की और उसमें प्राण डाल दिए, जिसका नाम गणेश रखा गया. उस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. इस वजह से हर साल उस तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. भगवान गणेश विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य हैं. शुभता के प्रतीक हैं. जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी का व्रत रखता है और गणेश जी की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं गणपति बप्पा पूरी करते हैं.

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