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Ujjain Famous Ganesh Temple: उज्जैन में एक ऐसा गणेश मंदिर है, जहां की मूर्ति दूसरे मंदिरों से अलग है. यहां की कहानी और मान्यता भी हैरान करने वाली है. जानें…
दरअसल, मंदिर में स्थापित गणेशजी का वास्तविक नाम दुर्मुख गणेश है, लेकिन समय के साथ लोग इन्हें ‘चौर गणेश’ कहने लगे. मान्यता है कि प्राचीन समय में चोर चोरी करने से पहले यहां माथा टेकते थे और चोरी के सामान का बंटवारा भी यहीं करते थे. हालांकि, मंदिर के पुजारी नीरज रावत बताते हैं कि गणेशजी का नाम ‘चौर’ है, ‘चोर’ नहीं. असम में भी इस तरह की प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं और यहां तंत्र क्रिया का विशेष महत्व माना जाता है.
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है गणेशजी की प्रतिमा. सामान्यतः गणेशजी की सूंड दाईं ओर होती है, जबकि यहां की मूर्ति में सूंड बाईं ओर उठी हुई है. यह मंदिर उज्जैन के अष्टविनायक मंदिरों में से एक है और मान्यता है कि सच्चे मन से यहां की गई प्रार्थना अवश्य फल देती है.
5 बुधवार लगातार आए तो…
पुजारी गजानंद गुरुजी के अनुसार, यह मंदिर माता सीता द्वारा स्थापित किया गया था और तंत्र साधना में इसका विशेष महत्व है. यहां वाममार्ग पूजा भी की जाती है. देशभर से तंत्र साधक साधना के लिए आते हैं. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि जो कोई लगातार पांच बुधवार यहां दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.