दिवाली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक बेहद पवित्र तिथि है. इस दिन भक्त श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र देव के अभिमान को तोड़ने और गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपने भक्तों की रक्षा करने की कथा को याद करते हैं. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण को तरह-तरह के व्यंजन और प्रसाद अर्पित किए जाते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह न केवल भक्ति को गहरा करता है बल्कि घर में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का भी आशीर्वाद लाता है.
श्रीकृष्ण चालीसा
दोहा:
जय यदुनंदन जय जग वंदन, जय वसुदेव देवकी नंदन।
जय यशोदा सुखदायक, नंदलाला नंद के नायक॥
चौपाइयां:
जय जय जय श्रीकृष्ण कन्हैया, भक्त जनन के दुख हरैया।
माखन चोर गिरधारी प्यारे, गोकुल ब्रज के तू रखवारे॥
बालरूप तू मन भाता, मुरली मधुर सदा तू गाता।
राधा संग रास रचावे, प्रेम सुधा सबको पिलावे॥
कंस वध कर जग को तारा, मात-पिता का किया उधारा।
देवकी बंधन छुड़वाया, यशोदा का मन हरषाया॥
गोवर्धन गिरिधर कहलाये, इंद्रदमन अभिमान मिटाये।
व्रज बालों के संकट हरने, लीलाओं से सबको तरने॥
रास रचायो संग गोपी, मुरली की मधुर आलापी।
राधा नाम तेरी पहचान, तेरा रूप सभी में महान॥
कुरुक्षेत्र में गीता बोली, धर्म रक्षा की ली तू डोली।
अर्जुन के मन संशय टारे, कर्म योग का ज्ञान उभारे॥
दीन-दुखी के तू रखवारे, संकट काटे जन के सारे।
भक्तन के तू काज सँवारे, मन की मुरादें सबको दे डाले॥
तू ही ब्रह्मा तू ही शंकर, तू ही विष्णु रूप मनोहर।
अंतहीन तेरा उपकार, तेरा नाम बड़ा आधार॥
जो कोई चालीसा गावे, प्रेम भाव मन में लावे।
उसका हर संकट टल जाये, जीवन में सुख चैन आये॥
माखन मिश्री तुलसी माला, तेरे चरणन की रखे रखवाला।
भक्त तेरा जो मन से ध्यावे, हर संकट से निज छुड़ावे॥
दोहा:
जो जन कृष्ण नाम रटत हैं, मनवांछित फल वे पतत हैं।
श्रीकृष्ण चालीसा जो गावे, भवसागर सो तरि जावे॥
श्रीकृष्ण चालीसा का पाठ भक्त के जीवन से दुख, भय और संकटों को दूर करता है. यह मन को स्थिरता, आत्मिक शांति और दिव्य आनंद प्रदान करती है. गोवर्धन पूजा, जन्माष्टमी या किसी भी शुभ दिन इस चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
गोवर्धन पूजा पर कृष्ण चालीसा पाठ की विधि
इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को फूलों व तुलसी दल से सजाएं. श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी पत्र, मक्खन, मिश्री और अन्नकूट का भोग लगाएं. इसके बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और फिर श्रीकृष्ण चालीसा का पाठ करें. पाठ के बाद आरती गाना और प्रसाद का वितरण करना शुभ माना जाता है.