Home Dharma Jagannath puri mein ekadashi ko chawal kyon khaya jata hai | Jagannath...

Jagannath puri mein ekadashi ko chawal kyon khaya jata hai | Jagannath puri mein ekadashi ulti kyon latki hai | जगन्नाथ पुरी मंदिर में एकादशी में चावल क्यों खाते हैं

0


Last Updated:

शास्त्रों में एकादशी तिथि का व्रत करने का विशेष महत्व बताया गया है. एकादशी व्रत के दिन कुछ चीजें ऐसी हैं, जो व्रत कर रहा है और जो ना कर रहा हो, उन सभी को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है. जैसे एकादशी के दिन चावल ना खाना लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां एकादशी के दिन चावल भोग लगाया जाता है.

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि के व्रत का विशेष महत्व है. भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत के करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. एकादशी व्रत के कुछ नियम ऐसे हैं, जिनका अवश्य पालन करना चाहिए अन्यथा कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैसे तो हम सभी जानते हैं कि एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है. बचपन से ही हमारी दादी-नानी कहती आई हैं कि एकादशी पर चावल खाना अशुभ होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां एकादशी के दिन चावल को भक्तों में महाप्रसाद के रूप में बांटा जाता है और सभी उसे ग्रहण करते हैं? है ना चौंकाने वाली बात, आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में, जहां एकादशी के दिन चावल का प्रसाद लगाया जाता है और भक्तों को बांटा भी जाता है.

इस मंदिर में लगाया जाता है एकादशी के दिन चावल का प्रसाद
एकादशी के दिन चावल का प्रसाद लगाने की अद्भुत परंपरा ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर की है, जहां एकादशी के दिन भी भक्तों को चावल का महाप्रसाद दिया जाता है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि जब पूरे देश में एकादशी पर चावल वर्जित है, तो पुरी में इसे क्यों खाया जाता है? सामान्यतः एकादशी के दिन सात्विक भोज जैसे दूध, दही, शकरकंद, फल आदि चीजों का भोग लगाया जाता है लेकिन इस मंदिर में एकादशी के दिन खास तौर पर भोग लगाया जाता है.

उल्टी लटकी हैं एकादशी माता
प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी धाम में भगवान विष्णु, बलरामजी और माता सुभद्रा के साथ विराजमान हैं और यहां दिनभर में से चार बार भोग लगाया जाता है. भक्तों को यहां का प्रसाद लेना जरूरू है. कहते हैं कि एकादशी माता ने जगन्नाथ पुरी धाम के प्रसाद का निरादर कर दिया था, जिससे भगवान विष्णु क्रोधित हुए और उन्होंने दंड स्वरूप बंधकर बनाकर लटका रखा है. भगवान विष्णु ने कहा कि मुझसे बड़ा भक्तों द्वारा तैयार किया गया प्रसाद है और भक्तों को यह महाप्रसाद ग्रहण करना जरूरी है.

इसलिए एकादशी के दिन नहीं खाया जाता चावल
दरअसल, इसके पीछे बहुत ही रोचक कथा है. कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मदेव भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पुरी आए और महाप्रसाद ग्रहण करना चाहा. लेकिन, जब वे पहुंचे, तब तक सारा महाप्रसाद खत्म हो चुका था. इसी बीच उन्होंने देखा कि एक कोने में पत्तों की एक थाली में कुछ चावल बचे हैं, जिन्हें एक कुत्ता खा रहा था. ब्रह्मदेव ने वही चावल उठाकर आदरपूर्वक खाना शुरू कर दिया. यह देखकर भगवान जगन्नाथ स्वयं प्रकट हो गए और बोले, हे ब्रह्मदेव! आपने मेरे महाप्रसाद को ग्रहण किया है. अब से मेरे इस धाम में एकादशी के दिन भी महाप्रसाद के रूप में चावल दिया जाएगा.

चावल खाने से होते हैं पुण्य नष्ट
उस समय से यह परंपरा आज तक चली आ रही है कि एकादशी तिथि के दिन चावल का प्रसाद लगाया जाता है. हालांकि, देश के अन्य मंदिरों में एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित माना गया है. विष्णु पुराण में बताया गया है कि एकादशी के दिन चावल खाना पुण्य को नष्ट करता है. चावल को देवताओं का भोजन माना गया है, इसलिए उनके सम्मान में इस दिन लोग चावल से परहेज करते हैं.

चावल ना खाने की अन्य मान्यता
अन्य मान्यता यह भी है कि महर्षि मेधा ने माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए एकादशी के दिन अपने शरीर का त्याग किया था और उनका अगला जन्म चावल के रूप में हुआ. इसलिए इस दिन चावल को नहीं खाने की परंपरा है.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित, फिर भी इस मंदिर क्‍यों बंटता है इसका प्रसाद

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version