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Jain Religion: जानिए, जैन महात्‍मा कपड़े क्यों नहीं पहनते, कितने तरह के होते हैं इस धर्म के अनुयायी?

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हाइलाइट्स

दिगंबर जैन मुनियों का मानना है कि उनके मन-जीवन में खोट नहीं है, इसलिए उनके तन पर कपड़े नहीं है. आम लोग कपड़े पहनते हैं, लेकिन उनका कहना है दुनिया में अवस्त्र होने से बेहतर कोई पोशाक नहीं है.

Jain Religion Rituals: आपने भी कहीं किसी साधक को बिना कपड़ों के देखा होगा. क्या कभी सोचा कि भला उन्होंने कपड़े क्‍यों नहीं पहने? विद्वान लोग बिना कपड़े वाले साधकों के बारे में कई तर्क देते हैं. पहली बात तो यह कि, भारत में दो ही तरह के लोग बिना कपड़ों के नजर आते हैं एक नागा साधु और दूसरे जैन अनुयायी. मगर, जैनियों में भी 2 तरह के अनुयायी होते हैं- एक दिगंबर और दूसरे श्वेतांबर.

इनके बारे में कुछ बातें समझने पर आप इस सवाल का जवाब जान जाएंगे कि कौन-से वाले किस वजह से कपड़े नहीं पहनते. जैन ‘मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज’ ने जैनियों के विषयों में कई बातों का उल्लेख किया था. कपड़े न पहनने के एक सवाल पर उन्होंने कहा था कि, जैन धर्म के अनुयायी 2 तरह के हैं. एक वो जो सफेद कपड़े पहनते हैं और दूसरे वो जो निर्वस्त्र होते हैं. जो निर्वस्त्र होते हैं वह दिगंबर हैं.

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उन्होंने कहा कि, हम भी दिगंबर हैं. हम कपड़े नहीं पहनते, लेकिन हम नग्न भी नहीं कहे जा सकते. नग्न तो भोगी-विलासी भी होता है, तो भला हमें नग्‍न क्‍यों कहा जाता है, क्‍या केवल इसलिए कि तत्वों के बने वस्त्र नहीं पहने…? भई हम तो यह मानते हैं कि हमारे वस्त्र दिशाओं से बने हैं; हमने दिशाओं को ओढ़ लिया है. दुनियाभर में जो दिगंबर जैन नहीं है. आपके कपड़ों का माप है, मगर हमारे वस्त्र अमाप हैं. आपको कपड़े को रोज धोना पड़ता है, वे गंदे होते हैं, मैले होते हैं, फटते हैं; हमारे वस्त्रों को धोने की जरूरत नहीं है.”

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उपरोक्‍त वक्‍तव्‍य के अनुसार, दिगंबर जैन मुनियों का मानना है कि उनके मन-जीवन में खोट नहीं है, इसलिए उनके तन पर कपड़े नहीं है. आम लोग कपड़े पहनते हैं, लेकिन उनका कहना है दुनिया में अवस्त्र होने से बेहतर कोई पोशाक नहीं है. वस्त्र तो विकारों को ढकने के लिए होते हैं. जो विकारों से परे है, ऐसे शिशु और मुनि को वस्त्रों की क्या जरूरत है. इसके अलावा जब ये मुनि बूढ़े हो जाते हैं और खड़े होकर भोजन नहीं कर पाते हैं तो ऐसे में वे अन्न-जल का भी त्याग कर देते हैं. दूसरे, जैन साधकों का जीवन बेदाग माना जाता है, तो उसे छुपाने के लिए किसी वस्त्र की जरूरत नहीं समझी जाती.

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