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Navratri 2025 Special: कानपुर का यह वैष्णो देवी मंदिर न केवल स्थानीय भक्तों बल्कि पूरे प्रदेश और देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है. नवरात्र के अवसर पर यहां आने वाले लोग माता के हजारों हाथों से अपने जीवन में खुशहाली और आशीर्वाद पाते हैं, और घर लौटते समय अपने अनुभव को यादों में संजोकर ले जाते हैं.

Navratri 2025 Special: आप नवरात्रि में माता के दर्शन करना चाहते हैं, लेकिन जम्मू के कटरा तक जाने का समय या अवसर नहीं मिल पाता, तो कानपुर का वैष्णो देवी मंदिर आपके लिए एक अद्भुत विकल्प है. दामोदर नगर में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं को बिल्कुल उसी तरह का अनुभव देता है, जैसा कि असली वैष्णो देवी धाम में होता है. यहां माता का दरबार गुफाओं और सुरंगों के बीच स्थापित है, जहां भक्तों को संकरे रास्तों से गुजरना होता है, झरनों के नीचे से निकलना होता है और कभी-कभी घुटनों के बल चलना पड़ता है. यही नहीं, इस मंदिर की सबसे खास बात है यहां विराजमान 1000 हाथों वाली माता की भव्य प्रतिमा, जो भक्तों के लिए एक अद्भुत आकर्षण है और आस्था का केंद्र बन चुकी है.
1000 हाथों वाली देवी मां
मंदिर का सबसे आकर्षक हिस्सा है माता की 1000 हाथों वाली मूर्ति. गर्भगृह तक पहुंचने के लिए भक्तों को दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ता है, कहीं लेटकर तो कहीं बैठकर. इस मंदिर में 900 से अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं. माता के साथ ही काल भैरव का मंदिर भी मौजूद है. देवी के हजारों हाथ भक्तों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक हैं. नवरात्र में यहां प्रदेश भर से श्रद्धालु आते हैं और माता की चुनरी बांधते हैं. मान्यता है कि चुनरी में तीन गांठ बांधने से माता प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूरी होती है.
मंदिर का निर्माण और इतिहास
कानपुर में 1000 हाथों वाली माता की प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2000 में जयदेव सिंह राणा ने कराया था. उनकी मन्नत पूरी होने पर माता ने स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर निर्माण की प्रेरणा दी थी. मंदिर की संरचना माता वैष्णो देवी की गुफा और पहाड़ी के जैसा बनाई गई है. पत्थरों से बनी सकरी गुफाओं से गुजरते हुए भक्त जय माता दी के नारे लगाते हैं और काल भैरव के दर्शन करते हैं. मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण की प्रमुख कथाओं के सजीव चित्रण हैं, जो हर उम्र के भक्तों को भा जाते हैं.
मंदिर की मान्यता
दुर्गा सप्तशती में वर्णित माता के सहस्रबाहु स्वरूप को देखकर श्रद्धालुओं को ऐसा अनुभव होता है कि माता अपने हाथों से आशीर्वाद दे रही हैं. यहां भक्त माता के प्रति विश्वास और भक्ति के साथ चुनरी बांधते हैं. मान्यता है कि तीन गांठ लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर के प्रबंधक छून्ना जी बताते हैं कि माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करतीं और हर आने वाले श्रद्धालु को आशीर्वाद देती हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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