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Mandir Me Purush Pujari: मंदिरों में आखिर क्यों होते हैं सिर्फ पुरुष पुजारी? जानें इसके पीछे की वजह

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Mandir Me Purush Pujari: हिंदू धर्म में मंदिरों में पुरुषों को पुजारी के रूप में नियुक्त करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे कई धार्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारण बताए जाते हैं.

मंदिरों में आखिर क्यों होते हैं सिर्फ पुरुष पुजारी?  जानें इसके पीछे की वजह

मंदिर में पुरुष पुजारी

Mandir Me Purush Pujari: प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में मंदिरों में पुरुषों को पुजारी के रूप में नियुक्त करने की परंपरा रही है. इसके पीछे कई धार्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारण बताए जाते हैं. धीरे-धीरे महिलाओं को भी पूजा-पाठ में पुरुषों के बराबर भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है. मंदिरों में पुरुष पुजारी के नियुक्त होने को लेकर पंडित अनिल शर्मा जानकारी दे रहे हैं.

धार्मिक कारण
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और अनुष्ठान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पुजारी भगवान और भक्तों के बीच एक मध्यस्थ होता है. पुजारी को वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान होना चाहिए. साथ ही, उसे पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने की विधि का भी ज्ञान होना चाहिए.

सामाजिक कारण
प्राचीन काल में महिलाओं को घर की चारदीवारी तक ही सीमित रखा जाता था. उन्हें शिक्षा और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी. इसलिए वो पुजारी बनने के योग्य नहीं थीं.

ऐतिहासिक कारण
भारत में कई बार विदेशी आक्रमण हुए. इन आक्रमणों के दौरान मंदिरों को लूटा और नष्ट किया गया. पुजारियों को भी मार दिया गया. इसलिए मंदिरों की सुरक्षा के लिए पुरुषों को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया.

इन सभी कारणों के अलावा कुछ लोग यह भी मानते हैं कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अपवित्र माना जाता है. इसलिए वो मंदिर में पूजा-पाठ नहीं कर सकती हैं.

हालांकि आज के समय में महिलाओं को शिक्षा और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने की अनुमति है. वे पुजारी बनने के योग्य भी हैं. दरअसल सदियों से मंदिरों में पुरुषों का वर्चस्व रहा है. पुजारी के रूप में पुरुषों को ही मंदिरों में पूजा-अर्चना करने का अधिकार होता था. लेकिन बदलते समय के साथ समाज में बदलाव आया है और महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार मिलने लगे हैं.

आज कुछ विशेष मंदिरों में महिलाएं भी पुजारी के रूप में कार्य करती हैं. दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में महिलाएं मुख्य पुजारिन के रूप में हैं और वे मंदिरों की सभी गतिविधियों का संचालन करती हैं.

महिलाओं को पुजारी के रूप में देखना एक सुंदर और प्रेरणादायक अनुभव है. यह बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है लेकिन यह निश्चित रूप से सही दिशा में है. आने वाले समय में हम और अधिक महिलाओं को मंदिरों में पुजारी के रूप में देखेंगे.

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