Mukti Gupteshwar 13th Jyotirlingham: देश के कई हिस्सों में भगवान शिव के पवित्र स्थान 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में विद्यमान हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को समर्पित 13वां ज्योतिर्लिंग भी मौजूद है? यह ज्योतिर्लिंग भारत में नहीं बल्कि विदेश में मौजूद है और यह देश हाल ही में आतंकी हमले की वजह से पूरे विश्व की नजर में आया और वह है ऑस्ट्रेलिया. ऑस्ट्रेलिया में 14 दिसंबर को सिडनी के बॉन्डी बीच पर दो बंदूकधारियों ने यहूदी त्योहार हनुक्का के दौरान ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी. इसी देश में भारत का 13वां ज्योतिर्लिंग मौजूद है. इस मंदिर की नींव साल 1997 में रखी गई थी. आइए जानते हैं ऑस्ट्रेलिया में मौजूद 13वें ज्योतिर्लिंग के बारे में…
भगवान शिव को समर्पित 13वां ज्योतिर्लिंग
अभी तक हमारे देश में 12 ज्योतिर्लिंग की पवित्र यात्रा की जाती है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में भगवान शिव को समर्पित 13वां ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जिसे तकरीबन 26 साल पुराना बताया गया है. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के पास मिंटो में 13वें ज्योतिर्लिंग के रूप में मुक्ति-गुप्तेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है. मंदिर में भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां को भी दर्शाया गया है और भक्त मंदिर की भव्यता और आस्था से मंदिर की ओर खींचे चले आते हैं. यह मंदिर पूरी दुनिया में पहला और एकमात्र मानव निर्मित गुफा मंदिर है. यह मंदिर शहर के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है. मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर में महा शिवरात्रि, सावन, भैरव अष्टमी आदि जैसे कई हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं.

1008 सहस्त्र नाम भगवान शिव की करते हैं पूजा
मुक्ति-गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को वहां के लोग भगवान शिव का 13वां ज्योतिर्लिंग मानते हैं. मंदिर में बनाए गए शिवलिंग भगवान शिव के 108 रुद्र नामों और 1008 सहस्त्र नामों को दर्शाते हैं. हर मूर्ति भगवान शिव के एक छोटे मंदिर को दर्शाती है और इसलिए मुक्ति-गुप्तेश्वर मंदिर के अंदर कुल 1,128 छोटे मंदिर हैं, जो अपनी तरह का बहुत अनोखा मंदिर है. हर सुबह पुजारी 13वें ज्योतिर्लिंग, दूसरे 12 ज्योतिर्लिंगों की 12 प्रतिकृतियों, 108 रुद्र शिवों और 1008 सहस्त्र नाम भगवान शिव की पूजा करते हैं.
मंदिर के गर्भगृह में गहरा कुंड
मंदिर के गर्भगृह में एक छिपा गहरा कुंड है. इस कुंड में भक्तों के हाथ से लिखे 20 लाख नोट हैं, जिन पर ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र लिखा है. माना जाता है कि कुंड में ऑस्ट्रेलिया की 81 पवित्र नदियों का जल और पांच महासागरों का पानी भी है, जिसमें आठ कीमती धातुएं मिली हैं. इसके अलावा, मंदिर के पास भगवान गणेश का मंदिर भी मौजूद है, जिसका निर्माण कार्य 1997 में शुरू हुआ था, जबकि शिव मंदिर में विराजमान भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा साल 1999 के समय हुई थी.
नेपाल के तत्कालीन राजा ने की थी प्रतिमा भेंट
मुक्ति-गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की नींव साल 1997 में रखी गई थी, जब ऑस्ट्रेलिया में हिंदू देवी-देवताओं के प्रति बढ़ती भक्ति देखी गई थी. उस वक्त नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह ने भगवान शिव की प्रतिमा भेंट स्वरूप दी थी, जिसके 2 साल बाद 1999 में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ और महाशिवरात्रि के दिन प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई.
12 ज्योतिर्लिंग और स्थान
सोमनाथ: प्रभास पाटन (वेरावल), गुजरात
मल्लिकार्जुन: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर: उज्जैन, मध्य प्रदेश
ॐकारेश्वर: खंडवा, मध्य प्रदेश
वैद्यनाथ: देवघर, झारखंड
भीमाशंकर: पुणे के पास, महाराष्ट्र
रामेश्वर (रामनाथस्वामी): रामेश्वरम, तमिलनाडु
नागेश्वर: द्वारका, गुजरात
काशी विश्वनाथ: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
त्र्यंबकेश्वर: नासिक, महाराष्ट्र
केदारनाथ: रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
घृष्णेश्वर: औरंगाबाद (एलोरा) के पास, महाराष्ट्र
