Home Dharma Navratri 2004: हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मां पुरण देवी मंदिर, यहां दसो...

Navratri 2004: हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मां पुरण देवी मंदिर, यहां दसो महाविद्याओं का वास, पूरी होती है मनोकामनाएं

0


पूर्णिया/पटना. मां पुरण देवी मंदिर बिहार के पूर्णिया और सीमांचल का सबसे प्रसिद्ध माता का मंदिर माना जाता है. मां पुरण देवी के नाम पर ही इस शहर का नाम पूर्णिया का पड़ा है. कहते हैं यहां दसों महाविद्याओं का वास है. खास बात यह कि यह मंदिर हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल है. 550 साल पहले बंगाल के नवाब शौकत अली ने एक सिद्ध पुरुष साधु बाबा हठीनाथ को मंदिर के लिए दान में यहां की 56 एकड़ जमीन दी थी. तब से इस इलाके के हिंदू मुस्लिम सभी समुदाय के लोग माता का दर्शन करने यहां आते हैं.

पुजारी गिरीश चंद्र मिश्र के अनुसार माता पूरन देवी माता का मंदिर यहां सैंकड़ों साल से विराजमान है. बताया जाता है कि बाबा हठीनाथ को बगल के तालाब से मां पुरण देवी की दसों महाविद्याओं की मूर्ति मिली थी. उन्होंने ही इस मूर्ति को यहां स्थापित किया था. यहां नेपाल , बंगाल आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में मां पुरण देवी की पूजा अर्चना करने और आशीर्वाद लेने आते हैं. कहते हैं कि यहां सबकी मनोकामना पूरी होती है.

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है यह मंदिर

पुजारी सुबोध मिश्र कहते हैं कि प्राचीन काल में करीब 550 साल पहले यहां एक सिद्ध पुरुष बाबा हठीनाथ हुआ करते थे .उस समय यह इलाका नवाब शौकत अली का था. बाबा हठीनाथ के चमत्कार से प्रभावित होकर शौकत अली ने यहां की 56 एकड़ जमीन बाबा को दान में दी थी. बगल के तालाब से बाबा हठीनाथ को मां पुरण देवी की दसों महाविद्याओं की प्रतिमा मिली थी. तब उन्होंने यहां एक मंदिर बनवाया और उसमें माता की प्रतिमा को स्थापित किया. तब से मां पुरण देवी हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लिए श्रद्धा का बहुत बड़ा केंद्र है.

नवाब शौकत अली ने दान की थी जमीन

श्रद्धालु सौंदर्य, मृत्युंजय और मधुप कुमार ने बताया कि माता पुरण देवी के प्रति उन लोगों में काफी आस्था है. खासकर अभी नवरात्र चल रहा है, जो भी भक्त यहां आते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती है. वहीं मंदिर के बगल के निवासी और नगर निगम पूर्णिया के पूर्व अध्यक्ष शाहिद रजा ने कहा है कि काफी पहले नवाब शौकत अली ने यहां के साधू बाबा हठीनाथ के चमत्कार से प्रभावित होकर ताम्रपत्र में लिखकर काफी संपत्ति दान में दी थी. यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम सभी कौम के आस्था का केंद्र है. सब लोग यहां श्रद्धा से आते हैं.

मां पुरण देवी मंदिर हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल है.

मंदिर में होते हैं कई तरह के कार्यक्रम

उन्होंने कहा कि साधु बाबा हठीनाथ का एक तांबा का लंगोट था जिसको गर्म करके बाबा पहनते थे. उन्हीं के द्वारा मां पुरण देवी मंदिर की स्थापना की गई है. अभी भी बाबा हठीनाथ का बहुत सामान मंदिर प्रांगण में सुरक्षित है. यहां शादी विवाह उपनयन संस्कार से लेकर कई तरह के कार्यक्रम होते हैं. बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं. नवरात्रि के अष्टमी और नवमी को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version