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Navratri 2024: बिना छत का है यह मंदिर, यहां आकाश मार्ग से आती है दैवीय शक्ति, पूरी होती है हर मुराद

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अंजली शर्मा / कन्नौज. नवरात्रों में सभी देवी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है. वहीं सुगंध और इतिहास की नगरी कन्नौज में कुछ ऐसे ऐतिहासिक और अति प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी मान्यता बहुत ज्यादा है. माता क्षेमकली देवी का बहुत प्राचीन मंदिर है. नवरात्र के दिनों में यहां मातारानी के दर्शनों के लिए भक्तों का ताता लगा रहता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्र के नौ दिन की विशेष मान्यता है. ऐसा माना जाता है कि आज भी यहां पर अदृश्य दैवीय शक्ति आकाश मार्ग से सुबह पूजा करके चली जाती है. जब सुबह पुजारी यहां पर माता के द्वार खोलते हैं तो यहां पर फूल और पूजा जैसा माहौल दिखाई देता है.

क्या है मान्यता और इतिहास

माता क्षेमकली कन्नौज के राजा वेणु की पुत्री हैं. इसी स्थान पर उन्होंने तपस्या की थी. वह कन्नौज के राठौड़ राजपूत वंश की कुलदेवी हैं. राजा जयचंद्र की पुत्री संयोगिता प्रतिदिन यहां पूजा करने के लिए आतीं थी. उस समय गंगाजी मंदिर के पास ही बहती थी. आज भी सुबह इनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़े मिलते हैं, जबकि रात के समय मंदिर बंद रहता है. रात में घंटे भी अपने आप बजने लगते हैं. एक विशेषता यह भी है कि देवी की प्रतिमा खुले में रखी है, कई बार भक्तों ने मंदिर पर छत डलवाने का प्रयास किया, लेकिन रात में लेंटर गिर जाता है. यह भारत का पहला मंदिर है, जिसका गुंबद नहीं बना हुआ है.

कैसे पहुंचे मंदिर

कन्नौज रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड से तीन किमी. दूरी पर उत्तर की तरफ मंदिर अड़ंगापुर मार्ग पर स्थित है. यहां टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है, इसके पास ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर व बांके बिहारी मंदिर भी है तथा माता क्षेमकली के नाम से प्राइमरी स्कूल भी है.

क्या बोले श्रद्धालु

Bharat.one से बात करते हुए श्रद्धालु सुखलाल ने बताया कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है. हम लोग यहां पर बहुत सालों से दर्शन करने आ रहे हैं. ऐसी मान्यता है यहां पर जो भी सच्चे मन से मुराद मांगता है उसकी यहां पर सारी मुराद पूरी होती है. जिनको संपत्ति व संतान की प्राप्ति नहीं हो रही होती है. वह यहां पर सच्चे मन से अगर मन्नत मांगते हैं, तो माता उनकी सारी मनोकामना पूरी करती है. वहीं इस मंदिर में आज भी कोई सुबह सबसे पहले पूजा अर्चना करके चला जाता है. ऐसा माना जाता है कि आकाश मार्ग से देवी शक्तियां यहां पर आती हैं और पूजा करके चली जाती हैं.

क्या बोले मंदिर के सेवादार

Bharat.one से बात करते हुए मंदिर के सेवक मनोहर ने बताया कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां पर आज भी आल्हा ऊदल माता की पूजा करने आते हैं, तो वहीं आज तक इस मंदिर में छत नहीं डल पाई है, जब भी छत डाली गई, तो वह अपने आप ही टूट कर गिर गई है. माता रानी आज भी पेड़ के नीचे ही विराजमान हैं. ऐसी मान्यता भी है कि यहां पर मांगी हुई सच्चे दिल से सभी मन्नत पूरी होती है. क्षेमकली माता अपनी सात बहनों में से एक है. नवरात्र के दिनों में यहां पर श्रद्धालु बहुत दूर से दर्शन करने आते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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