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Navratri 2025: यहां गिरा था माता सती का हाथ, 51 शक्तिपीठों में शामिल इस मंदिर की जानें खासियत!

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Kada Dham Kaushambi: कड़ा धाम के मां शीतला धाम मंदिर का चैत्र नवरात्रि में विशेष महत्व है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां माता सती का हाथ गिरा था. मां शीतला को रोगनाशक देवी माना जाता है.

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माँ शीतला देवी 

हाइलाइट्स

  • कड़ा धाम में 9 दिन चलेगा पूजा पाठ.
  • मां शीतला को रोगनाशक देवी माना जाता है.
  • देशभर से श्रद्धालु मां शीतला के दर्शन को आते हैं.

कौशांबी: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. उत्तर प्रदेश के जनपद कौशांबी में स्थित कड़ा धाम के मां शीतला धाम मंदिर का खास महत्व है. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती का ‘कर’ यानी हाथ गिरा था, जिसके कारण यहां एक कुंड बना हुआ है. तभी से इस स्थान का नाम कड़ा पड़ा, जिसे पहले कोटकवन के नाम से जाना जाता था.
मां शीतला को पूर्वांचल की आराध्य देवी माना जाता है. माता शीतला सात बहनों में सबसे बड़ी हैं और उनका यह मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जिसके लिए श्रद्धालु सुबह से ही बड़ी संख्या में मंदिर में उमड़ रहे हैं.

देशभर से आते हैं श्रद्धालु
नवरात्रि के दौरान देशभर से श्रद्धालु मां शीतला के दर्शन के लिए कड़ा धाम पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भक्त नवरात्रि में यहां श्रद्धा पूर्वक हाजिरी लगाते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विशेष रूप से पूर्वांचल क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग इस दौरान माता के दर्शन करने आते हैं और अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं.

मां शीतला को क्यों माना जाता है रोगनाशक देवी?
मां शीतला को रोगनाशक देवी माना जाता है. उनकी सवारी गधा (गर्दभ) है, जिसे अत्यधिक धैर्यवान और रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर जानवर माना जाता है. गधा हर परिस्थिति में कार्य करने में सक्षम होता है और आसानी से बीमार नहीं पड़ता. इसी कारण मां शीतला की सवारी गर्दभ मानी गई है, जिससे भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलने की मान्यता है.

श्रद्धालुओं की आस्था
बनारस से आए श्रद्धालु डमरू लाल बताते हैं कि वे हर साल चैत्र नवरात्रि में मां शीतला के दर्शन के लिए कड़ा धाम आते हैं. उनका मानना है कि माता रानी अत्यंत दयालु हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. गंगा तट पर स्थित यह धाम पवित्र और आस्था से भरपूर है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं.

मंदिर कमेटी का बयान
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष आत्म प्रकाश पांडे के अनुसार, नवरात्र की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. माता शैलपुत्री के रूप में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उनके कष्टों का नाश करती हैं. यहां स्थित पवित्र कुंड में माता सती का दाहिना हाथ गिरा था, जिससे यह स्थान धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
कड़ा धाम के इस पावन मंदिर में भक्तगण बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां शीतला के दर्शन कर रहे हैं और नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है.

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Navratri 2025: यहां गिरा था माता सती का हाथ, 51 शक्तिपीठों में शामिल इस मंदिर

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