48 Minutes After Sunset: कई बार आपने सुना होगा कि “सूर्यास्त के समय कुछ नहीं खाना चाहिए”, लेकिन क्या कभी सोचा है कि इसके पीछे वजह क्या है? हमारे ऋषि-मुनियों ने सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी कुछ समय को बेहद खास बताया है. इन्हीं में से एक समय है संध्या का वो 48 मिनट, जिसके बारे में प्रेमानंद महाराज ने बड़ी खूबसूरती से समझाया है. एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि “महाराज जी, आप कहते हैं कि शाम के समय खाना नहीं चाहिए, लेकिन ऐसा क्यों?” इस सवाल पर महाराज जी ने जो जवाब दिया, वो न सिर्फ अध्यात्म से जुड़ा है बल्कि हमारे शरीर और मन के संतुलन से भी. महाराज जी कहते हैं कि संध्या का समय सिर्फ पूजा-पाठ के लिए नहीं बल्कि आत्मशुद्धि का समय है. इस दौरान शरीर, मन और आत्मा – तीनों को शांत करने का अवसर मिलता है, अगर कोई व्यक्ति इस समय का सही उपयोग कर ले, तो जीवन में शांति और सकारात्मकता अपने आप बढ़ने लगती है. आइए जानते हैं आखिर क्या है शाम के इन 48 मिनटों का रहस्य और इसे कैसे सही तरीके से जिया जा सकता है.
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब सूर्य अस्त होने लगता है, तब धरती पर ऊर्जा का एक परिवर्तन होता है. दिन की तेज ऊर्जा धीरे-धीरे शांत होती है और रात की स्थिर ऊर्जा प्रवेश करती है. इस समय शरीर का पाचन तंत्र भी धीमा होने लगता है. इसलिए अगर हम इस वक्त भोजन करते हैं, तो भोजन ठीक से पच नहीं पाता और शरीर में आलस्य या बेचैनी बढ़ सकती है.
इसीलिए हमारे बुजुर्ग भी कहते आए हैं कि “सूर्यास्त के बाद खाना नहीं, भक्ति करनी चाहिए.”
शाम के वो 48 मिनट क्यों खास हैं?
महाराज जी के अनुसार, सूर्यास्त से 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद, ये कुल 48 मिनट का समय संध्या का माना गया है, ये काल बहुत पवित्र होता है. इस दौरान भोजन, संभोग या किसी भी भौतिक कार्य को टाल देना चाहिए. यह समय भगवान की उपासना, गायत्री जप, गुरु मंत्र जप, या नाम स्मरण के लिए सर्वोत्तम होता है, अगर आप रोज़ इन 48 मिनटों में ध्यान या जप करें, तो मन की शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है.
क्या करें और क्या न करें इस समय में
1. इस समय भोजन न करें – या तो सूर्यास्त से पहले भोजन पूरा कर लें या 48 मिनट बाद करें.
2. अगर किसी वजह से आप पहले से कुछ काम में व्यस्त हैं, तो कोई बात नहीं – बस 2-3 मिनट का समय निकालकर भगवान का नाम जप लें.
3. फोन, टीवी या बहस जैसी चीज़ों से दूर रहें.
4. मन को शांत रखकर सूर्य देव को जल अर्पित करें और मन ही मन आभार व्यक्त करें.
महाराज जी कहते हैं, “इस दौरान शरीर को नहीं, आत्मा को भोजन दो.” मतलब, ध्यान और जप ही उस समय की सच्ची ऊर्जा का स्रोत हैं.

इस समय का सही उपयोग कैसे करें
अगर आप चाहें तो इस समय छोटे-छोटे आध्यात्मिक कार्य कर सकते हैं जैसे –
1. दीपक जलाना
2. थोड़ा ध्यान करना
3. गायत्री मंत्र का जप
4. मन में कृतज्ञता व्यक्त करना
5. दिनभर की घटनाओं पर शांत मन से चिंतन
प्रेमानंद महाराज से कैसे मिलें?
-जो भक्त प्रेमानंद महाराज से मिलना चाहते हैं, उन्हें वृंदावन जाना होगा. महाराज जी ‘श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम’ में रहते हैं. वहां सुबह 9 बजे से टोकन वितरण शुरू होता है.
-मुलाकात के लिए आपको आधार कार्ड दिखाकर पंजीकरण कराना होता है. इसके बाद तय समय पर आप महाराज जी के एकांतिक वार्तालाप में शामिल हो सकते हैं.
-महाराज जी का वार्तालाप रोज़ाना सुबह 6:30 बजे शुरू होता है, जहां भक्त अपने सवाल पूछते हैं और महाराज जी सहजता से सभी को दिशा दिखाते हैं.