Shaniwar Shani Dev Puja Or Upay: पौष माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शनिवार का दिन है. शनिदेव को कर्मफल दाता कहा गया है. वे किसी के शत्रु नहीं हैं, बल्कि मनुष्य के कर्मों के अनुसार न्याय करने वाले देवता हैं. शास्त्रों में स्पष्ट है कि शनि कष्ट नहीं देते, बल्कि अधूरे कर्मों को पूर्ण करवाते हैं. अगर किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो शनिदेव शुभ प्रभाव देते हैं और अगर किसी व्यक्ति के कर्म बुरे हैं तो ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार का व्रत का विशेष फल बताया गया है. साथ ही कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं. शनिदेव के इन उपाय और व्रत करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है और जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं शनिवार के दिन कैसे करें शनिदेव की पूजा और शनि दोष से मुक्ति के लिए क्या करें…
शनिवार पंचांग 2025
द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. इस दिन चंद्रमा और सूर्य ग्रह धनु राशि में संचार करेंगे. इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है. यदि किसी जातक के जीवन में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, तो वे शनिवार का व्रत रख सकते हैं.

शनिवार को शनिदेव की पूजा का महत्व
शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत और ज्योतिष उपाय करने से शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति में अनुशासन, धैर्य और संयम आता है. साथ ही शनिदेव की कृपा से गलत आदतें, आलस्य और भ्रम दूर होते हैं और जीवन में स्थायित्व व गंभीरता आती है. लाल किताब व परंपरागत ज्योतिष के अनुसार, पुराने रोग, कर्ज, कोर्ट-कचहरी के मामले शनिदेव की कृपा से धीरे-धीरे सुलझते हैं, क्योंकि ये सब शनि के कारक विषय हैं. शनिदेव की पूजा कष्ट हटाने से अधिक जीवन को सही मार्ग पर लाने का साधन है.
ढैय्या व साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए करें शनिवार व्रत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती या ढैय्या चलती है, तो व्यक्ति को आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह जैसी कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. अग्नि पुराण में उल्लेख मिलता है कि शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है. ऐसे में शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है.
शनिवार शनिदेव पूजा विधि
धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शनिदेव को कैसे प्रसन्न करना चाहिए. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद शनि की प्रतिमा या शनि यंत्र रखें और शनि मंत्रों जैसे शं शनैश्चराय नम: और सूर्य पुत्राय नम: का जाप करें. फिर शनिदेव को स्नान करवाएं और उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल अर्पित करें और सरसों के तेल का दिया जलाएं. इसके बाद शनि चालीसा और कथा का पाठ भी करें.
शनिवार के दिन करें यह काम
पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें. मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है. इसी कारण हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बहुत शुभ माना जाता है.
