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Tips To Make Body Without supplement: बचपन से हमें सिखाया जाता है कि गाली देना बुरी बात है और अच्छे लोग ऐसा नहीं करते. लेकिन अब एक नई रिसर्च कह रही है कि गाली देने से आपकी शारीरिक ताकत बढ़ सकती है. जी हां, यह मजाक नहीं है बल्कि एक सीरियस साइंटिफिक स्टडी है. यूके की कील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया है कि अपशब्द कहने से इंसान की फिजिकल परफॉर्मेंस बेहतर होती है. इस आर्टिकल में हम विस्तार से बताएंगे कि आखिर गाली और ताकत का क्या कनेक्शन है.
क्या गाली देने से बढ़ती है शारीरिक क्षमता- अक्सर आपने देखा होगा कि जब कोई भारी चीज उठाता है तो उसके मुंह से अनायास ही कुछ अपशब्द निकल जाते हैं. अब साइंस ने भी मान लिया है कि इसके पीछे एक ठोस वजह है. एक नई स्टडी इस बात के सबूत देती है कि गाली देना हमारे अंदर की छिपी हुई ताकत को बाहर लाने में मदद कर सकता है.
फोकस बढ़ाने का आसान तरीका- कील यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान शोधकर्ता रिचर्ड स्टीफेंस ने कहा कि हमारा दिमाग एक सेफ्टी वाल्व की तरह काम करता है. लेकिन गाली देना खुद को फोकस करने का एक आसान तरीका है.इससे आप ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करते हैं. आपका ध्यान कम भटकता है. और आप किसी भी काम को पूरा करने के लिए ‘गो फॉर इट’ वाले मोड में आ जाते हैं. यानी आप हिचकिचाहट छोड़कर पूरा जोर लगा पाते हैं.
कैसे हुआ ये अनोखा और अजीब एक्सपेरिमेंट- रिचर्ड स्टीफेंस और उनके साथियों ने यह जानने के लिए एक प्रयोग किया. वे कील यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा से थे. वे देखना चाहते थे कि क्या गाली देने से न केवल फिजिकल परफॉर्मेंस सुधरती है, बल्कि क्या यह उस पल में इंसान की साइकोलॉजी को भी बदल देता है.
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चुने गए हार्ड फीजिकल वर्क करने वाले लोग- इस पहले एक्सपेरिमेंट के लिए 88 लोगों को चुना गया. उनकी उम्र 18 से 65 साल के बीच थी. ये सभी लोग शारीरिक रूप से फिट थे और मेहनत वाला काम कर सकते थे. इन प्रतिभागियों को एक यूनिवर्सिटी कैंपस में बुलाया गया. हर किसी को शब्दों का एक जोड़ा चुनने को कहा गया. इसमें एक गाली वाला शब्द था जो आप सिर टकराने पर बोलते हैं. और दूसरा एक न्यूट्रल शब्द था जैसे कि ‘टेबल’ या ‘कुर्सी’.
चेयर पुश अप- इसके बाद उन्हें एक खास तरह की एक्सरसाइज करवाई गई. इसे ‘चेयर पुश-अप’ कहा जाता है. इसमें कुर्सी पर बैठकर अपने हाथों से पूरे शरीर का वजन उठाना होता है. यह सुनने में आसान लगता है लेकिन इसे ज्यादा देर तक करना बहुत मुश्किल होता है.
कुर्सी पर बैठकर पता चली असली ताकत- इस एक्सपेरिमेंट के दौरान प्रतिभागियों को अपना चुना हुआ शब्द बार-बार बोलना था. कभी उन्हें गाली वाला शब्द बोलना था तो कभी न्यूट्रल शब्द. यह रैंडम तरीके से तय किया गया था. प्रतिभागियों को इस पोज़ में ज्यादा से ज्यादा देर तक रहना था. वे अधिकतम 60 सेकंड तक ऐसा कर सकते थे. इस दौरान उन्हें रिसर्चर की आंखों में भी देखना था.
चौंकाने वाले नतीजे- पहले एक्सपेरिमेंट के नतीजों को पक्का करने के लिए एक दूसरा एक्सपेरिमेंट भी किया गया. इसमें 94 नए लोगों को शामिल किया गया. इन्हें भी उसी तरह से चुना गया था. इस बार भी वही माप और पैमाने इस्तेमाल किए गए. लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने कुछ नई चीजों को भी इसमें जोड़ा. वे देखना चाहते थे कि क्या गाली देने से घबराहट या नेगेटिव इमोशन्स कम होते हैं.
गाली बेहतर करती है परफॉर्मेंस- दोनों ही एक्सपेरिमेंट में नतीजे एक जैसे रहे. यह साफ हो गया कि गाली देना फिजिकल परफॉर्मेंस में फायदा पहुंचाता है. जिन लोगों ने गाली वाले शब्दों का इस्तेमाल किया, वे ज्यादा देर तक चेयर पुश-अप कर पाए.
दर्द और थकान का अहसास कम हो जाता है- स्टडी में एक और दिलचस्प बात सामने आई है. गाली देने वाले सेशन में पॉजिटिव इमोशन और ह्यूमर का लेवल ज्यादा था. यानी लोग उस मुश्किल काम को एन्जॉय कर रहे थे. इससे पता चलता है कि गाली देना लोगों को एक्शन मोड में लाने में मदद करता है.
ताकत और दिमाग का खेल- जब हम कोई न्यूट्रल शब्द बोलते हैं, तो उसका हमारे इमोशन्स से कोई लेना-देना नहीं होता. लेकिन गाली वाले शब्द हमारे दिमाग के गहरे हिस्सों से जुड़े होते हैं. ये इमोशनल रिस्पॉन्स पैदा करते हैं. शायद यही वजह है कि इससे एड्रेनालाईन जैसा रश मिलता है.हालांकि वैज्ञानिक अभी भी इस पर और रिसर्च कर रहे हैं.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/health-build-body-without-supplements-strange-method-swearing-at-gym-science-new-shocking-finding-9980100.html
