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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात वर्ष की एकमात्र ऐसी रात्रि होती है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है. जब खीर को उसकी किरणों में रखा जाता है, तो वह अमृत रस का रूप धारण कर लेता है. इसलिए इस रात को अमृत वर्षा रात्रि. भी कहा गया है. आइए जानें माता लक्ष्मी को भोग और चंद्रमा की चांदनी में रखने वाली खीर में क्या मिलाएं…
शरद पूर्णिमा की रात को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना गया है. यह वह रात होती है जब माना जाता है कि चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है. आज चंद्रमा की चांदनी के नीचे खीर रखने का विधान है और इसी खीर को पहले माता लक्ष्मी का भोग लगाया जाता है. सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा की चांदनी जब खीर पर पड़ जाती है तो वह अमृत के समान बन जाती है और इस खीर का सेवन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. इसलिए आज रात बनने वाली खीर भी खास होनी चाहिए. आइए जानते हैं माता लक्ष्मी को भोग में लगने वाली है और चंद्रमा की चांदनी में रखने वाली खीर में क्या मिलाएं…
मां लक्ष्मी का अवतरण
शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की विशेष पूजा का विधान होता है. श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णु पुराण में वर्णन आता है कि जब देवता और दानव क्षीरसागर का मंथन कर रहे थे, तब अमृत, रत्न और अनेक दिव्य वस्तुएं निकलीं. उन्हीं में से महालक्ष्मी जी का अवतरण हुआ. मां लक्ष्मी इस दिन पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जहां साफ-सफाई, भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है, वहां स्थायी रूप से निवास भी करती हैं. इसीलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा गया कः जागर्ति? अर्थात् कौन जाग रहा है?. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के अमृततुल्य प्रकाश से ओतप्रोत होती है. उसकी चांदनी में रखी खीर लक्ष्मी कृपा और आरोग्य दोनों की वाहक बनती है. यह परंपरा एक साथ ज्योतिष, आयुर्वेद और भक्ति तीनों के संगम का सुंदर प्रतीक है.
केसर खीर का महत्व
इस पवित्र रात को मां लक्ष्मी को केसर युक्त खीर का भोग लगाने का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, केसर समृद्धि, सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक है. कहा जाता है कि जब खीर में केसर डाली जाती है तो वह भोग मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय लगता है, क्योंकि केसर में सुगंध और ऊष्मा दोनों होती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं. केसर खीर न केवल मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का माध्यम है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि भक्ति में पवित्रता, सुगंध और प्रेम तीनों का होना आवश्यक है. इस रात ध्यान और साधना करने से मन को शांति और सकारात्मकता मिलती है.
क्यों रखते हैं चंद्रमा के नीचे खीर का भोग?
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे चांदनी में रख दी जाती है. इससे खीर में चंद्रमा की किरणों का अमृत समा जाता है, जो सेहत और मन को शुद्ध करता है. अगली सुबह यह खीर प्रसाद के रूप में परिवार में बांटी जाती है. केसर युक्त खीर को धन, आरोग्य और शांति का प्रतीक माना जाता है.
चन्द्रोदय का समय – शाम 05 बजकर 27 मिनट पर चंद्रोदय होगा. आप शरद पूर्णिमा की खीर को 10 बजकर 53 मिनट के बाद रखें क्योंकि शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से रात 10 बजकर 53 मिनट तक है. इसलिए रात 10 बजकर 53 मिनट के बाद शरद पूर्णिमा की खीर खुले आसमान के नीचे रखें.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें