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Sharad Purnima 2025 Kheer: आज देशभर में शरद पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा और इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को आती है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूर्ण किरणों से भरी वह रात्रि है जो देह, मन और आत्मा तीनों को पुष्ट करती है. साथ ही इस रात को खीर रखने का विशेष महत्व बताया गया है.
Sharad Purnima 2025 Kheer Muhurat: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है और यह शुभ तिथि आज है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है. यह रात्रि अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभावशाली मानी जाती है. शरद पूर्णिमा की रात वर्ष की एकमात्र ऐसी रात्रि होती है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और इस रात्रि को खीर रखने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को रखी गई खीर अमृत के समान हो जाती है और इस खीर के सेवन करने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो जाती है. अगर आप भी अपने घर पर खीर रखते हैं तो खीर रखने का मुहूर्त जान लें, ताकि संपूर्ण फल की प्राप्ति हो सके. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात को खीर रखने का मुहूर्त…
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं अर्थात कौन जाग रहा है?. देवी लक्ष्मी इस रात्रि घूमकर देखती हैं कि कौन जागकर सत्कर्म कर रहा है. अतः इस रात लक्ष्मी पूजन और ध्यान करने से धन-संपन्नता आती है. आयुर्वेद में इस रात्रि को चंद्र किरणों में रखे दूध या खीर को अमृत तुल्य कहा गया है, जो शरीर के पित्त दोष को शांत करता है और रक्तचाप व नींद को संतुलित करता है. शरद पूर्णिमा पर चांदनी में खीर रखने की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है और इसका उल्लेख वैदिक ग्रंथों, आयुर्वेद और ज्योतिष शास्त्र तीनों में पाया जाता है. यह कोई साधारण रीति नहीं, बल्कि चंद्रतत्व, औषधि शक्ति और देवी लक्ष्मी के आह्वान से जुड़ी अत्यंत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है.
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ – 6 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन – 7 अक्टूबर, सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक
वृद्धि योग – 01:14 पी एम तक, इसके बाद ध्रुव योग
चूंकि पूर्णिमा की पूजा रात के समय की जाती है और 6 अक्टूबर को रात के समय पूर्णिमा तिथि लग रही है इसलिए शरद पूर्णिमा की पूजा आज की जाएगी. हालांकि स्नान व ध्यान आप 7 अक्टूबर को कर सकते हैं.
शरद पूर्णिमा की खीर रखने का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा पर यानी आज चंद्रोदय शाम के समय 5 बजकर 27 मिनट पर होगा, यह दिल्ली का समय है. अन्य शहरों में चंद्रोदय का समय थोड़ा आगे या पीछे हो सकता है. साथ ही आज पूरे दिन पंचक काल और भद्रा का साया भी रहने वाला है. भद्रा दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से शुरू हो जाएगी और रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. ऐसे में आप आज रात 10 बजकर 53 मिनट के बाद चंद्रमा की चांदनी में खीर रख सकते हैं. हालांकि भद्रा का खीर रखने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, ऐसे में आप चंद्रोदय होने के बाद खुले आसमान के नीचे कभी भी खीर रख सकते हैं. खीर इस प्रकार से रखना है कि उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ें.
शरद पूर्णिमा की खीर कब खाएं?
शरद पूर्णिमा की रात जब आप खीर रखें तो उसको सूती सफेद कपड़े से ढककर रखें, ताकि जब अमृत वर्षा हो तो वह खीर में चला जाए. अगर आप ऐसे स्थान पर रख सकते हैं, जहां कीड़ा मकौड़ा ना पहुंचे तब आप खुले में रख सकते हैं अन्यथा ढककर ही रखें. शरद पूर्णिमा की खीर को अगर आप अगले दिन सूर्योदय के बाद खाते हैं तो इसका प्रभाव कम हो जाता है. इसलिए शरद पूर्णिमा की खीर हमेशा सूर्योदय से पहले ही खा लेनी चाहिए. शरद पूर्णिमा की खीर को अगले दिन 4 बजे के बाद से सूर्य की किरणें निकलने के 24 मिनट पहले तक सेवन कर सकते हैं. यानी 4 बजे से लेकर साढ़े पांच बजे तक स्नान ध्यान से निवृत्त होकर खीर का सेवन कर सकते हैं.
शरद पूर्णिमा की खीर रखने की विधि
आज शाम को आप गाय के दूध की खीर बनाएं और उसमें थोड़ा सा केसर भी अवश्य डालें. ध्यान रखें कि यह खीर केवल चावल की ही हो. खीर बनाकर उसे पतीले में रख लें. रात के समय में उस पतीले को छत पर या बालकनी में खुले में रख दें. कुछ लोग पूरी रात खीर को चंद्रमा की किरणों में रख देते हैं और अगली सुबह खाते हैं. कुछ लोग खीर को 2 से 4 घंटे के लिए रखते हैं और फिर उसका सेवन कर लेते हैं.
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