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Sharad Purnima Kheer 2025: शरद पूर्णिमा की रात खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की चांदनी की अमृतमय वर्षा खीर पर पड़े और उसका लाभ परिवार के सभी सदस्य उठाएं. लेकिन बहुत से लोगों को जानकारी ना होने की वजह से खीर कभी भी खा लेते हैं, जो कि सही नहीं है और खीर का पूरा लाभ भी नहीं मिल पाता. आइए जानते हैं खीर कब खाएं…
Sharad Purnima Kheer Eating Time 2025: शरद पूर्णिमा की रात का चांद सबसे करीब, सबसे उज्जवल और सबसे प्रभावशाली माना जाता है. इस दिन का धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक तीनों दृष्टियों से बहुत खास महत्व है. लोग इस दिन व्रत रखते हैं, लक्ष्मी पूजा करते हैं और रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखते हैं. शरद पूर्णिमा का चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करता है, जब चंद्रमा की चांदनी खीर पर पड़ती है तो वह भी अमृत के समान हो जाती है और इस खीर के सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है. लेकिन ध्यान रहे शरद पूर्णिमा की खीर रात में ही नहीं खानी चाहिए. दरअसल कुछ लोग एक दो घंटे खीर रखने के बाद खा लेते हैं तो कुछ लोग सुबह खाते हैं. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की खीर कब खाएं…
शरद पूर्णिमा की चांदनी में होते हैं औषधीय तत्व
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में औषधीय तत्व होते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, चांद की किरणों में अमृत तत्व यानी शीतल और रोगनाशक ऊर्जा होती है. दिन में खाई गई खीर में यह अमृत प्रभाव नहीं होता, बल्कि शरीर पर भारी पड़ सकती है. परंपरा है कि शरद पूर्णिमा की रात को खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, ताकि उसमें चांद की किरणें पड़ें. यह प्रक्रिया खीर को अमृतमयी बना देती है. दिन में चांदनी नहीं होती, इसलिए खीर को पहले खाने से इसका आध्यात्मिक और औषधीय प्रभाव नहीं मिलता.
शरद पूर्णिमा की खीर खाने का सबसे शुभ समय और मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की खीर को पूरी रात खुले आसमान के नीचे रखें. शरद पूर्णिमा की खीर को अगर आप अगले दिन सूर्योदय के बाद खाते हैं तो इसका प्रभाव कम हो जाता है. इसलिए शरद पूर्णिमा की खीर हमेशा सूर्योदय से पहले ही खा लेनी चाहिए. शरद पूर्णिमा की खीर को अगले दिन 4 बजे के बाद से सूर्य की किरणें निकलने के 24 मिनट पहले तक सेवन कर सकते हैं. इस तरह आप शरद पूर्णिमा की खीर को सुबह 4 बजे के बाद से 5 बजकर 30 मिनट तक खा लें. इस समय खीर खाना बहुत शुभ और अमृत समान माना जाता है. खीर को परिवार के सभी सदस्य मिलकर भक्तिभाव से प्रसाद रूप में ग्रहण करें.
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी माता पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भी जागरण कर रहे होते हैं, उन्हें समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. चंद्रमा को शीतलता और मन की स्थिरता का प्रतीक माना गया है. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्र देव की पूजा करने से मानसिक शांति और समृद्धि मिलती है. मान्यता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था इसीलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें