Last Updated:
Shukra Pradosh 2025 : हिन्दू धर्म मे प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है. साथ ही सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
प्रदोष व्रत
हाइलाइट्स
- 25 अप्रैल को रखा जाएगा अप्रैल माह का अंतिम प्रदोष व्रत.
- शुक्र प्रदोष व्रत करने से जीवन में खुशहाली और शत्रुओं पर विजय मिलती है.
- इस व्रत पर दुर्लभ इंद्र योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है.
अप्रैल 2025 शुक्र प्रदोष व्रत. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत किया जाता है और भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं, उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से अप्रैल का दूसरा और वैशाख मास का पहला प्रदोष व्रत कब आ रहा है और इसका क्या धार्मिक महत्व.
जानिए कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 25 अप्रैल 2025 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी और 26 अप्रैल 2025 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे मे उदया तिथि अनुसार 25 अप्रैल को शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
शुक्र प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
शुक्रवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन खुशहाली आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. इसके साथ ही जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है.वहीं खासतौर पर इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए रखती हैं.
शुभ योग्य मे मनाया जाएगा प्रदोष व्रत
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ इंद्र योग का संयोग बन रहा है. इंद्र योग का संयोग दिन एवं निशा काल में भी है. इंद्र योग का समापन देर रात 11 बजकर 31 मिनट तक है.साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग का संयोग सुबह (दिन) 11 बजकर 44 मिनट तक है. इस समय तक देवों के देव महादेव नंदी की सवारी करेंगे. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के कामों में सफलता मिलेगी.
जरूर करें इन नियमों का पालन
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.