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Spiritual Liberation : इस तरह स्नान करने से मिलता है मोक्ष! सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं

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Spiritual Liberation : मोक्ष की प्राप्ति के लिए शास्त्रों में सात प्रकार के स्नान बताए गए हैं: मन्त्र स्नान, अग्नि स्नान, भौम स्नान, वायव्य स्नान, मानसिक स्नान, वरूण स्नान और दिव्य स्नान.

इस तरह स्नान करने से मिलता है मोक्ष! सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं

हाइलाइट्स

  • मोक्ष के लिए शास्त्रों में 7 प्रकार के स्नान बताए गए हैं.
  • मन्त्र, अग्नि, भौम, वायव्य, मानसिक, वरूण और दिव्य स्नान शामिल हैं.
  • इन स्नानों से पाप नष्ट होते हैं और भगवत प्राप्ति होती है.

Spiritual Liberation : इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के अंत में मोक्ष चाहता है. वह चाहता है कि जीवन तो जैसे तैसे कट गया पर जीवन के अंत के बाद उसका मोक्ष हो जाये. उसकी आत्मा को श्री हरि के चरणों में स्थान मिल जाये. उसके लिये वह तरह तरह के अनुष्ठान आदि करता है. हमारे शास्त्रों में मोक्ष की प्राप्ति के लिये अनेकों उपाय बताये हैं. उन्हीं उपायों में से एक उपाय स्नान से सम्बंधित है. आइये विस्तार से इसके बारे में समझते हैं.

मोक्ष की इच्छा पाले व्यक्तियों को करना चाहिए ऐसा : स्नान-ध्यान करने के बाद ही हम सभी अपने दिन की शुरुआत करते हैं. ऐसे में नहाना हमारे जीवन में उसी प्राकर से महत्पूर्ण है जैसे जीवन के लिए आक्सीजन, ऐसे में आज हम आपको स्नान के प्रकार बताने जा रहे हैं जिन्हे आप सभी शायद ही जानते होंगे. इन सभी स्नान को करने के बाद मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है. मोक्ष की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को जीवन में कम से कम एकबार ये स्नान इंसान को अवश्य करना चाहिए.

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स्नान के प्रकार : हमारे हिन्दू धर्म में वेद पुराण औऱ शास्त्रों में स्नान के सात प्रकार बताये गये हैं. जब हम इन सभी सात प्रकार से स्नान करते हैं तो निश्चित रूप से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

1. मन्त्र स्नान- ‘आपो हिष्ठा’ इत्यादि मन्त्रों से मार्जन करना.

2. अग्नि स्नान- अग्नि की राख पूरे शरीर में लगाना जिसे भस्म स्नान कहते हैं.

3. भौम स्नान- पूरे शरीर में मिटटी लगाने को भौम स्नान कहा जाता है.

4. वायव्य स्नान- गाय के खुर की धूलि लगाने को वायव्य स्नान कहा जाता है.

5. मानसिक स्नान- आत्म चिन्तन करना एंव निम्न मन्त्र

” ऊॅ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्रााभ्यन्तरः शुचि।।
अतिनीलघनश्यामं नलिनायतलोचनम्।
स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम्ं।। को पढ़कर अपने शरीर पर जल छिड़कने को मानसिक स्नान कहा जाता है.

6. वरूण स्नान- जल में डुबकी लगाकर स्नान करने को वरूण स्नान कहा जाता है.

7. दिव्य स्नान- सूर्य की किरणों में वर्षा के जल से स्नान करना दिव्य स्नान कहा जाता है.

इस प्रकार सात तरह से स्नान करने वाले व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवत प्राप्ति होती है.

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