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Story of Ganesha’s Birth: गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी. शिव पुराण के अनुसार गणेश जी का जन्म माता पार्वती के मैल से हुआ था और शिवजी ने उन्हें हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया था.

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi Shubh muhurat)

शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन में जान डालकर उस मैल में जान डाल दी थी. इसी तरह गणेश भगवान का जन्म हुआ था. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें द्वार पर खड़ा कर खुद स्नान करने चली गईं थीं. जाते-जाते माता पार्वती ने भगवान गणेश को आदेश दिया कि वे किसी को भी अंदर न आने दें. इसके बाद भगवान गणेश ने उनकी आज्ञा को मानते हुए शिवजी को भी घर में जाने सो रोक दिया. इससे भगवान शिव नाराज हो गए और गणेशजी के सिर को उनके धड़ से अलग कर दिया. माता पार्वती को जब इस बात की जानकारी हुई तो वे गुस्से में आ गईं. इसके बाद शिवजी ने उनके शरीर में हाथी का सिर लगाकर उन्हें दोबारा से जीवित कर दिया, जिसके बाद गणेश जी गजानन कहलाए.
बालक का नामकरण: माता पार्वती ने उस बालक का नाम गणेश रखा और उसे अपना पुत्र स्वीकार किया. उन्होंने गणेश को द्वार पर बैठकर पहरा देने और किसी को भी अंदर न आने देने का आदेश दिया था. तब भगवान शिन ने सबसे पहले देखे गए प्राणी के सिर को लाने का आदेश दिया, जो कि एक हाथी का सिर था. शिवजी ने उस हाथी के सिर को गणेशजी के धड़ से जोड़कर उन्हें पुनर्जीवित किया, जिससे उनका नाम गजानन पड़ गया.