दरअसल संतों का ऐसा मानना है कि अगर आप सुंदरकांड की चौपाई का जाप कर रहे हैं और उसका मतलब आप नहीं समझ पा रहे हैं तो उस चौपाई के जाप करने से कोई भी पुण्य आपको नहीं प्राप्त होगा. ऐसी स्थिति में सुंदरकांड में चौपाई है.
गयउ दसानन मंदिर माहीं, अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं.
सयन किए देखा कपि तेही, मंदिर महुँ न दीखि बैदेही.
भवन एक पुनि दीख सुहावा, हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा.
सुंदरकांड की चौपाई में हनुमान जी महाराज के द्वारा लंका में माता सीता की खोज का वर्णन किया गया है. इस चौपाई के बारे में शशिकांत दास विस्तार से बताते हैं .
गयउ दसानन मंदिर माहीं, अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं…अर्थात लंका में खोजते खोजते वहां रावण के दरबार पहुंच गए. रावण का महल बहुत ही विचित्र था. जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
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भवन एक पुनि दीख सुहावा, हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा…अर्थात फिर उसके बाद आगे उन्होंने एक सुंदर सा भवन देखा. वह भवन भगवान की पूजा के लिए अलग से बनाया गया था.
शशिकांत दास बताते हैं कि हनुमान चालीसा की इस चौपाई में लंका में हनुमान जी महाराज के प्रवेश और माता सीता की खोज का वर्णन किया गया है. इस चौपाई का जाप करने से जीवन के सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और डर से मुक्ति मिलती है.