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Travel Muhurt : यात्रा के लिए अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल आदि नक्षत्र शुभ माने गए हैं. दिशाशूल के अनुसार शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए. प्रतिपदा तिथि यात्रा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है.

यात्रा के लिये शुभ मुहूर्त और नक्षत्र
हाइलाइट्स
- अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल नक्षत्र यात्रा के लिए शुभ माने गए हैं.
- शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए.
- प्रतिपदा तिथि यात्रा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है.
Travel Muhurt : हर व्यक्ति दैनिक रूप से यात्रा करता है.यात्रा पर निकलने से पहले उसके मन में अनेकों सवाल होते हैं. लोग सोचते हैं जिस काम से वह जा रहे हैं, क्या वह काम सफल होगा या नहीं? यात्रा में दिक्कत तो नहीं होगी या वह किस दिन यात्रा पर जाये जिससे उसकी यात्रा सफल हो. इसके लिये हमारे शास्त्रों मे यात्रा मुहूर्त तथा शुभाशुभ शकुन विचार के बारे मे विस्तार से बताया गया है. आइये जानते हैं यात्रा विचार के बारे मे.
नक्षत्र का करें विचार : अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, हस्त, मृगसिरा, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य और रेवती ये नक्षत्र यात्रा के लिये शुभ माने गये हैं. इन नक्षत्रों में यदि आप यात्रा करते हैं तो आपकी यात्रा सफल रहेगी. इसके अलावा आर्द्रा, भरणी, कृतिका, मघा, उत्तराषढ़ा,विशाखा और आश्लेषा ये नक्षत्र त्याज्य है,यानि इन नक्षत्र मे यात्रा को टाल देना चाहिए. इन नक्षत्र में यात्रा लाभदायक नहीं होती है. इसके अलावा नक्षत्र मध्यम माने गये है.
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दिशाशूल काफी महत्वपूर्ण : शनिवार और सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा नही करनी चाहिये. गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा का त्याग करना चाहिये. रविवार और शुक्रवार को पश्चिम की यात्रा नही करनी चाहिये. बुधवार और मंगलवार को उत्तर की यात्रा नही करनी चाहिये. इन दिनो में और उपरोक्त दिशाओं में यात्रा करने से दिशाशूल माना जाता है.
सर्वदिशागमनार्थ शुभ नक्षत्र : हस्त, रेवती, अश्वनी, श्रवण और मृगसिरा ये नक्षत्र सभी दिशाओं की यात्रा के लिये शुभ बताये गये है. इन नक्षत्र में किसी भी तिथि और दिन में यात्रा की जा सकती है. जिस प्रकार से विद्यारम्भ के लिये गुरुवार श्रेष्ठ रहता है. उसी प्रकार पुष्य नक्षत्र को सभी कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है.
योगिनी विचार : प्रतिपदा और नवमी तिथि को योगिनी पूर्व दिशा में रहती है. तृतीया और एकादशी को अग्नि कोण में. त्रयोदशी को और पंचमी को दक्षिण दिशा में. चतुर्दशी और षष्ठी को पश्चिम दिशा में पूर्णिमा और सप्तमी को वायु कोण में. द्वादसी और चतुर्थी को नैऋत्य कोण में,दसमी और द्वितीया को उत्तर दिशा में. अष्टमी और अमावस्या को ईशानकोण में योगिनी का वास रहता है. वाम भाग में योगिनी सुखदायक,पीठ पीछे वांछित सिद्धि दायक,दाहिनी ओर धन नाशक और सम्मुख मौत देने वाली होती है.
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यात्रा हेतु तिथि विचार : यात्रा के लिये प्रतिपदा श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है, द्वितीया कार्यसिद्धि के लिये,त्रुतीया आरोग्यदायक, चतुर्थी कलह प्रिय,पंचमी कल्याणप्रदा, षष्ठी कलहकारिणी सप्तमी भक्षयपान सहित, अष्टमी व्याधि दायक, नवमी मौत दायक, दसमी भूमि लाभप्रद,एकादसी स्वर्ण लाभ करवाने वाली, द्वादसी प्राण नाशक और त्रयोदसी सर्व सिद्धि दायक होती है, त्रयोदसी चाहे शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की सभी सिद्धियों को देती है. पूर्णिमा एवं अमावस्या को यात्रा नही करनी चाहिये. तिथि क्षय मासान्त तथा ग्रहण के बाद के तीन दिन यात्रा नुकसान दायक मानी गयी है.षष्ठ, द्वादसी रिक्ता तथा पर्व तिथियां भी त्याज्य है. इन तिथियों मे यात्रा नहीं करनी चाहिए. मिथुन, कन्या,मकर, तुला ये लगन शुभ है. यात्रा में चन्द्रबल तथा शुभ शकुनों का भी विचार करना चाहिये.
February 27, 2025, 09:02 IST
यात्रा के लिये शुभ मुहूर्त और नक्षत्र, जानें किस दिन करें यात्रा