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What is the right time for a Brahmin feast during Pitru Paksha? Morning or afternoon… Learn the true rules of the tradition and why afternoon is considered the time for ancestors. – Haryana News


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Faridabad News: फरीदाबाद के महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने बताया कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म और ब्राह्मण भोज का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद है.

फरीदाबाद: जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे… हमारे बुजुर्गों ने ये कहावत यूं ही नहीं कही है. जीवन में कर्म और श्रद्धा का बड़ा महत्व है. यही कारण है कि पितृपक्ष के दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा सवाल यही उठता है कि ब्राह्मण को भोजन किस समय कराना चाहिए… सुबह या दोपहर? बहुत से लोग कंफ्यूजन में रहते हैं और परंपरा को सही ढंग से नहीं निभा पाते.

कब कराएं पितरों को भोजन

Bharat.one से बातचीत में फरीदाबाद के महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने इस कंफ्यूजन को दूर किया. उन्होंने बताया कि पितृपक्ष कुल 16 दिन का होता है जिसे पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक मनाया जाता है. इन दिनों को कनागत या श्राद्ध भी कहा जाता है. परंपरा के अनुसार सुबह का समय यानी दोपहर 12 बजे तक देवताओं के कार्यों के लिए निर्धारित होता है. इसलिए, सुबह ब्राह्मण को भोजन कराना सही नहीं माना जाता. पितरों का समय दोपहर का है यानी 12 बजे के बाद. ऐसे में श्राद्ध कर्म और ब्राह्मण भोज दोपहर में ही करना चाहिए.

इस बार खास बात यह है कि पितृपक्ष का समापन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. इसे सबसे बड़ी अमावस्या कहा जाता है क्योंकि इस दिन सिर्फ अपने पिता-दादा ही नहीं बल्कि सभी पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध किया जाता है.

किसे खिलाएं सबसे पहले खाना

स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार इस दिन दोपहर में कुछ खास कार्य करना बेहद फलदायी होता है. सबसे पहले गौ माता को गुड़ या चना खिलाना चाहिए. दूसरा, कुत्ते को भोजन दें और तीसरा, कौवे को भी कुछ खाने को जरूर डालें. अगर कोई सदाचारी ब्राह्मण पूजा-पाठ में मिल जाए तो उसे भी दोपहर में भोजन कराना चाहिए.

जरूरी है ये परंपरा

श्राद्ध के दिन एक और जरूरी परंपरा है…जौ, तिल और जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को अर्पित करना. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान की वृद्धि होती है. लोक मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करने से जीवन में हर संकट दूर हो जाता है और घर परिवार में शांति बनी रहती है. इसलिए ध्यान रहे पितरों का भोजन और तर्पण हमेशा दोपहर में ही करें. यही सही समय है और यही परंपरा का नियम.

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पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज का सही समय क्या है? सुबह या दोपहर… जानें परंपरा

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