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Faridabad News: फरीदाबाद के महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने बताया कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म और ब्राह्मण भोज का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद है.
कब कराएं पितरों को भोजन
इस बार खास बात यह है कि पितृपक्ष का समापन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. इसे सबसे बड़ी अमावस्या कहा जाता है क्योंकि इस दिन सिर्फ अपने पिता-दादा ही नहीं बल्कि सभी पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध किया जाता है.
स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार इस दिन दोपहर में कुछ खास कार्य करना बेहद फलदायी होता है. सबसे पहले गौ माता को गुड़ या चना खिलाना चाहिए. दूसरा, कुत्ते को भोजन दें और तीसरा, कौवे को भी कुछ खाने को जरूर डालें. अगर कोई सदाचारी ब्राह्मण पूजा-पाठ में मिल जाए तो उसे भी दोपहर में भोजन कराना चाहिए.
श्राद्ध के दिन एक और जरूरी परंपरा है…जौ, तिल और जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को अर्पित करना. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान की वृद्धि होती है. लोक मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करने से जीवन में हर संकट दूर हो जाता है और घर परिवार में शांति बनी रहती है. इसलिए ध्यान रहे पितरों का भोजन और तर्पण हमेशा दोपहर में ही करें. यही सही समय है और यही परंपरा का नियम.