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ज्योतिषी अखिलेश पांडेय के अनुसार, आज भी कई लोग जादू-टोना और तंत्र-मंत्र के नाम पर भोले-भाले लोगों को डराकर उनका शोषण करते हैं. सफेद वस्तुओं का नाम लेकर टोटके बेचे जाते हैं और लोग अपनी समस्या का समाधान ढूंढते-ढूंढते अंधविश्वास में फंस जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि समाज में जागरूकता फैलाई जाए, ताकि लोग इन बातों को सच न मानें और वैज्ञानिक सोच अपनाएं.
हमारे समाज में जादू-टोने और तंत्र-मंत्र की चर्चाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं. इनमें सफेद चीजों का विशेष महत्व बताया जाता है. चाहे वह चावल हो, दूध, दही, शक्कर या नारियल, इनका उपयोग कई टोटकों और क्रियाओं में किया जाता है. लोग मानते हैं कि सफेद वस्तुएं पवित्रता और चंद्रमा की ऊर्जा से जुड़ी होती हैं. यही कारण है कि इनका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों और तांत्रिक प्रक्रियाओं दोनों में किया जाता है. हालांकि यह आस्था और विश्वास का विषय है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन दावों की पुष्टि नहीं होती.
भारतीय परंपरा में सफेद रंग को शांति और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. पूजा-पाठ में चावल, दूध और दही जैसी सफेद वस्तुओं का उपयोग होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि सफेद वस्तुएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और व्यक्ति के मन को शुद्ध बनाती हैं. यही कारण है कि इन्हें देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है. लोग मानते हैं कि इन वस्तुओं से घर में शांति आती है और नकारात्मकता दूर होती है.
तांत्रिक विधियों में सफेद चीजों का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है. माना जाता है कि चावल और शक्कर जैसे पदार्थ जल्दी असर दिखाते हैं. साधक इनका उपयोग अपने मंत्रोच्चार या अनुष्ठान में करता है ताकि उसकी शक्ति बढ़ सके. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सफेद वस्तुओं के माध्यम से चंद्रमा की शक्ति को साधक अपने अनुष्ठान में शामिल कर सकता है. हालांकि ये मान्यताएं पूरी तरह विश्वास पर आधारित हैं.
गांवों और छोटे कस्बों में आज भी यह विश्वास है कि किसी पर जादू-टोना करना हो तो सफेद वस्तुएं कारगर होती हैं. कई बार लोग डराने या भ्रम फैलाने के लिए ऐसे टोटके करते हैं, जैसे दरवाजे पर चावल या दूध का कटोरा रख देना, ताकि सामने वाला व्यक्ति डर जाए. यह सब अंधविश्वास की श्रेणी में आता है, क्योंकि इन वस्तुओं से किसी को सीधा नुकसान नहीं पहुंच सकता.
अगर वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो सफेद वस्तुओं का जादू-टोने से कोई लेना-देना नहीं है. दूध, दही, शक्कर और चावल जैसी चीजें पूरी तरह खाद्य सामग्री हैं और इनमें कोई रहस्यमयी शक्ति नहीं होती. ये हमारे शरीर को ऊर्जा और पोषण देती हैं. विज्ञान मानता है कि जादू-टोना केवल मनोवैज्ञानिक प्रभाव है. जब लोग डरते हैं, तो उनका दिमाग और शरीर वैसे ही प्रतिक्रिया देने लगता है, जिससे उन्हें लगता है कि टोटका असर कर रहा है.
अक्सर लोग किसी टोटके या सफेद वस्तुओं के प्रयोग को देखकर डर जाते हैं. उनका मन नकारात्मक सोच से भर जाता है और वे खुद को कमजोर महसूस करने लगते हैं. यही डर धीरे-धीरे उनकी सेहत और सोच पर असर डालता है. वास्तव में कोई भी सफेद वस्तु किसी इंसान पर जादुई असर नहीं डाल सकती. यह सब व्यक्ति के विश्वास और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है.
आज भी कई लोग जादू-टोना और तंत्र-मंत्र के नाम पर भोले-भाले लोगों को डराकर उनका शोषण करते हैं. सफेद वस्तुओं का नाम लेकर टोटके बेचे जाते हैं और लोग अपनी समस्या का समाधान ढूंढते-ढूंढते अंधविश्वास में फंस जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि समाज में जागरूकता फैलाई जाए, ताकि लोग इन बातों को सच न मानें और वैज्ञानिक सोच अपनाएं.
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