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इस जगह लगता है लक्जरी गाड़ियों का जमावड़ा, 1986 से बिक रहा ये फेमस पेड़ा, करोड़ों में कमाई

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सकड्डी गांव का पेड़ा आरा-पटना मार्ग पर प्रसिद्ध है. शुद्ध दूध से बने इस पेड़े की दुकानें 1986 से चल रही हैं. रोजाना 10 क्विंटल पेड़ा बनता है और महीने का कारोबार 1 करोड़ का है.

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पटना-बक्सर हाइवे पर सफर करने वालो को अक्सर रोक देता है स्कड्डी के पेड़ा का स्वाद,

हाइलाइट्स

  • सकड्डी गांव का पेड़ा 1986 से प्रसिद्ध है.
  • रोजाना 10 क्विंटल पेड़ा बनता है.
  • महीने का कारोबार 1 करोड़ का है.

गौरव सिंह/भोजपुर. अगर आप पटना से भोजपुर, बक्सर या सासाराम जा रहे हैं और आपने सकड्डी गांव में रुककर यहां का पेड़ा नहीं खाया, तो आप एक बेहतरीन स्वाद से वंचित रह गए हैं. आरा-पटना मुख्य मार्ग पर सकड्डी आते ही वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है. लग्जरी वाहनों से गुजरने वाले लोग भी यहां रुककर मशहूर पेड़े का स्वाद जरूर चखते हैं. शुद्ध दूध से बने पेड़े के लिए यह जगह काफी प्रसिद्ध है. सकड्डी का पेड़ा बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों से आए लोगों को भी खूब पसंद आता है.

जिला मुख्यालय से सकड्डी की दूरी करीब 12 किलोमीटर है. आप आरा से बस और ऑटो लेकर सकड्डी पहुंच सकते हैं. वहीं, कोइलवर से भी यहां पहुंचा जा सकता है, जिसकी दूरी करीब 6 किलोमीटर है. सकड्डी पहुंचते ही सड़क किनारे आपको पेड़े की दर्जनों दुकानें दिखाई देंगी. पेड़े के दीवानों के लिए पटना से आरा के रास्ते में सकड्डी एक बेहतरीन जगह है, यहां के पेड़े लोग पैक करवाकर भी ले जाते हैं. यही नहीं, विदेश में रहने वाले लोग भी अपने परिजनों से पेड़ा मंगवाना नहीं भूलते.

40 साल पुरानी है पहली पेड़ा दुकान
पेड़ा दुकान संचालक रंजीत कुमार बताते हैं कि सकड्डी में तिरंगा जी की दुकान पेड़ों के लिए काफी मशहूर है. यह दुकान 1986 में शुरू की गई थी. तिरंगा जी के निधन के बाद अब यह दुकान संतोष संभालते हैं. रंजीत ने आगे बताया कि जैसे-जैसे यहां के पेड़े की मांग बढ़ती गई, कई नई दुकानें खुलती गईं. इस रास्ते से गुजरने वाले वाहन विभिन्न दुकानों पर रुकते हैं और कई लोग दुकानों पर ही पेड़े खाते या पैक करवाकर ले जाते हैं. सकड्डी में हमारा भी काफी पुराना रंजीत जी की मशहूर पेड़े की दुकान है. यहां रोजाना 4 से 5 क्विंटल पेड़ा तैयार होता है.

10 क्विंटल रोजाना तैयार होता है सकड्डी में पेड़े
पेड़ा दुकानदार रंजीत कुमार ने बताया कि बिंदगांवा, मनेर से रोजाना गाय और भैंस का दूध आता है और उसी दूध से पेड़ा तैयार होता है. पेड़े की दुकान की रसोई में लकड़ी/कोयले की भट्ठियां हमेशा जलती रहती हैं. इन पर कई लीटर दूध खौलता रहता है. एक किलो शुद्ध पेड़ा तैयार करने में करीब 5 किलो दूध और उसमें स्वादानुसार चीनी मिलाई जाती है और तब जाकर शुद्ध पेड़ा बनता है. सकड्डी में शुद्ध दूध से बनने वाले इस पेड़े की गुणवत्ता के कारण लोग दूर-दराज से यहां पहुंचते हैं. शादी-विवाह हो या फिर कोई त्योहार, यहां से लोग पेड़ा लेकर जाना नहीं भूलते.

महीने का 1 करोड़ का होता है कारोबार
सकड्डी के मशहूर रंजीत पेड़ा दुकान के मालिक रंजीत कुमार बताते हैं कि सकड्डी में रोजाना करीब 3 लाख रुपए के पेड़े का कारोबार होता है. यहां करीब 3-4 क्विंटल पेड़ा बिकता है. 1 किलो पेड़े की कीमत 400 रुपए है. उन्होंने बताया कि आरा से पटना, पटना से आरा जाने वाली अधिकतर गाड़ियां सकड्डी में रुकती हैं और यहां का मशहूर पेड़ा खाती हैं और अपने साथ घर भी ले जाती हैं. अगर आप भी कभी इधर से गुजरें तो सकड्डी का पेड़ा जरूर चखें.

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