सीवान. सीवान जिले के मैरवा प्रखंड के तितरा बाजार में एक ऐसा ठेला है, जहां हर शाम लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. यह ठेला किसी नामी होटल या बड़े ब्रांड का नहीं, बल्कि 60 वर्षीय रामप्रवेश सिंह का है, जो पिछले 34 साल से अपनी पकौड़ी और चाट के स्वाद से पूरे इलाके में पहचान बना चुके हैं.
रामप्रवेश सिंह का ठेला तितरा बाजार का एक प्रतीक बन गया है. रोजाना सैकड़ों लोग उनके पकौड़ी और टमाटर चाट का स्वाद लेने पहुंचते हैं. आलम यह है कि कई बार शाम होते-होते सामान कम पड़ जाता है और कुछ ग्राहकों को बिना खाए ही लौटना पड़ता है. लेकिन फिर भी, जो एक बार यहां का स्वाद चखता है, वह बार-बार लौटकर आता है.
ईमानदारी और मेहनत ही मेरी पूंजी
रामप्रवेश सिंह बताते हैं कि उन्होंने 34 साल पहले इस ठेले की शुरुआत की थी. उस समय यह केवल जीविका का साधन था, पर आज यह उनके परिवार की सफलता की कहानी बन चुका है. इसी ठेले की कमाई से उन्होंने अपने दोनों बेटों की पढ़ाई पूरी करवाई, तीन बेटियों की शादियां की और एक पक्का घर भी बनवाया.
वे गर्व से कहते हैं ईमानदारी और मेहनत ही मेरी पूंजी है. मैंने कभी क्वालिटी में समझौता नहीं किया. सब्जियों के दाम चाहे जितने बढ़ जाएं, पकौड़ी का दाम वही रहता है.
इस तरह तैयार होती है टमाटर चाट
रामप्रवेश का ठेला खास तौर पर टमाटर चाट के लिए मशहूर है. वे बताते हैं कि टमाटर चाट तैयार करने में खास नुस्खा अपनाया जाता है. सबसे पहले टमाटर को बीच से दो भागों में काटा जाता है, फिर उसमें उबले आलू भरे जाते हैं, उसके बाद बेसन में लपेटकर तेल में सुनहरा होने तक तला जाता है. इसके बाद गरमा-गरम मटर के छोले के साथ यह ग्राहकों को परोसा जाता है. यही टमाटर चाट अब तितरा बाजार की पहचान बन चुकी है.
स्थानीय लोग कहते हैं कि रामप्रवेश सिंह की पकौड़ी और चाट में जो स्वाद है, वह कहीं और नहीं मिलता. एक ग्राहक ने मुस्कुराते हुए कहा, “यहां का स्वाद ऐसा है कि हर बार कुछ नया अनुभव होता है. न तो क्वालिटी में कमी होती है, न क्वान्टिटी में. यही वजह है कि इतने सालों बाद भी उनकी दुकान पहले जैसी ही लोकप्रिय है.”
रामप्रवेश के अनुसार, वे हर मौसम की सब्जियों की पकौड़ी बनाते हैं- चाहे वह बैंगन, गोभी, आलू या मिर्च की हो. बदलते दामों का असर उन्होंने कभी अपने ग्राहकों पर नहीं डाला. यही वजह है कि स्थानीय लोग उनके इस जज़्बे और ईमानदारी की सराहना करते हैं.
स्वाद और सेवा की यह परंपरा रहेगी जारी
अब इस व्यवसाय की जिम्मेदारी उनकी अगली पीढ़ी ने संभालनी शुरू कर दी है. उनका बड़ा बेटा रोजाना ठेले पर पहुंचकर पिता की मदद करता है. रामप्रवेश भावुक होकर कहते हैं, अब उम्र हो चली है, लेकिन खुशी है कि मेरा बेटा इस काम को आगे बढ़ा रहा है. जब मैं नहीं रहूंगा, तब भी लोगों को लौटना नहीं पड़ेगा. स्वाद और सेवा की यह परंपरा जारी रहेगी.
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