How to make Tirupati Laddu: इन दिनों दुनिया भर में मशहूर और पवित्र मंदिर तिरुपति बालाजी सुर्खियों में है. आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्थापित इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं. ये मंदिर विष्णु जी के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है. दरअसल, इस मंदिर में खास तरह का लड्डू प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ये दावा किया कि पिछली सरकार के दौरान लड्डू को बनाने के लिए जानवरों की चर्बी मिलाई जाती थी. इस दावे के बाद से ही न सिर्फ वहां की राजनीति गरमा हुई है, बल्कि दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी ठेस पहुंचा है. ये लड्डू भक्तों को प्रसाद के तौर पर वितरित करने के साथ ही भगवान को भी भोग लगाया जाता है.
कहां बनता है ये खास लड्डू
इस लड्डू को मंदिर के रसोईघर में बनाया जाता है. इस रसोई को ‘पोटू’ कहा जाता है. आपको बता दें कि इस लड्डू को जीआई टैग (Geographical Indication) भी प्राप्त है. ऐसे में इस लड्डू को बनाने का पेटेंट सिर्फ मंदिर को ही प्राप्त है. खबरों के अनुसार, यहां प्रतिदिन लगभग 8 लाख से भी अधिक लड्डू तैयार किए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस लड्डू को बतौर प्रसाद लिए बिना तिरुपति बालाजी का दर्शन अधूरा होता है.
लड्डू के आकार-प्रकार
प्रोक्तम लड्डू- ये लड्डू साइज में छोटा होता है, जिसे मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को रेगुलर बांटा जाता है. एक लड्डू लगभग 40 ग्राम का होता है. ये लड्डू दर्शन समाप्त करने और मंदिर से बाहर आने पर सभी को प्रसाद के रूप में निःशुल्क दिया जाता है.
अस्थानम लड्डू- इस लड्डू को खास पर्व-त्योहार में तैयार किया जाता है, जिसका आकार प्रोक्तम लड्डू से थोड़ा बड़ा होता है. एक लड्डू 175 ग्राम का होता है, जिसकी कमीत 50 रुपये होती है. इसे बनाने के लिए बादाम, काजू और केसर का अधिक यूज किया जाता है.
कल्याणोत्सवम लड्डू- जो लोग अर्जिता सेवा और कल्याणोत्सवम में भाग लेते हैं, उन तीर्थयात्रियों को ये लड्डू बांटा जाता है. सबसे ज्यादा मांग इसी लड्डू की है. वैसे इसे अन्य लड्डुओं की तुलना में कम संख्या में बनाया जाता है. इस लड्डू की शेल्फ लाइफ 15 दिन होती है और ये सबसे अधिक महंगा भी है. एक लड्डू लगभग 750 ग्राम का होता है, जिसकी कीमत 200 रुपये होती है.
कैसे बनते हैं ये खास लड्डू?
पोटू रसोई में इस स्पेशल लड्डू को बनाने के लिए लगभग 600 से भी ऊपर रसोइये काम करते हैं. इन लड्डुओं को खास विधि से बनाया जाता है. इसमें कई तरह के सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम, किशमिश, इलायची, मिश्री, बेसन, शुद्ध घी, दूध आदि सामग्री डाली जाती है. खबरों के अनुसार, लड्डू बनाने के लिए प्रतिदिन 700 किलो काजू, 10 टन बेसन, तीन से चार सौ लीटर घी, दस टन चीनी, लगभग 540 केजी किशमिश आदि की जरूरत पड़ती है.
विधि
बेसन का घोल बनाया जाता है. कड़ाही में घी गर्म किया जाता है. फिर इसमें बेसन को बूंदी की तरह डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक तला जाता है. घी से इसे निकालें. ड्राई फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम को भी घी में हल्का रोस्ट किया जाता है. चीनी की चाशनी बनाई जाती है. इसमें इलायची पाउडर डालें. बूंदी को दरदरा पीसा जाता है. फिर इसे चाशनी में डाल दें. साथ ही भूने हुए सूखे मेवे, किशमिश, मिश्री भी डालें और अच्छी तरह से मिक्स करें. अब इसे लड्डू का आकार दे दें. लगभग इसी तरीके से ये लड्डू तैयार किया जाता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 12:14 IST
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