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तीखा, खट्टा और लाजवाब! जानिए राजस्थान का मशहूर ग्वार फली का आचार बनाने का तरीका – Rajasthan News

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Guar Bean Pickle Recipe: राजस्थान की रसोई में ग्वार फली का आचार सर्दियों की खास पहचान है. हरी, कोमल फलियों से बना यह पारंपरिक आचार तीखा, खट्टा और मसालेदार स्वाद लिए होता है. शेखावाटी क्षेत्र के घरों में इसे बड़ी पसंद से तैयार किया जाता है और यह सालभर खाने योग्य रहता है. गृहिणी सुमित्रा मौर्य के अनुसार, इसका स्वाद रोटी, पराठा या दाल-चावल के साथ लाजवाब लगता है. आयुर्वेदिक दृष्टि से भी ग्वार फली का आचार फाइबर, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होता है, जो पाचन, हृदय और शुगर नियंत्रण में सहायक है.

राजस्थान की रसोई में ग्वार फली का आचार आम बात है. यह पारंपरिक स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का अनूठा संगम है. राजस्थान में केवल सर्दी के मौसम में केवल दो महीने ही मिलती है. इसलिए इसी मौसम में इसका आचार बनाया जा सकता है. ताकि पूरे सालभर इसका जायका ले सके. गृहिणी सुमित्रा मौर्य ने बताया कि अन्य आचार के मुकाबले ग्वार की फली का आचार लंबे समय तक खाने योग्य रहता है. इसका तीखा, मसालेदार स्वाद रोटी या दाल-चावल के साथ बेहद लाजवाब लगता है, इसलिए इसे राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के हर घर में बड़ी पसंद से बनाया जाता है.

गृहिणी सुमित्रा मौर्य ने बताया कि ग्वार फली का आचार बनाने के लिए सबसे पहले ताजी, कोमल और हरी फलियों को लेना जरूरी है. इसके अलावा सरसों का तेल, राई, मेथीदाना, सौंफ, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, हींग, और नमक की जरूरत पड़ती है. स्वाद बढ़ाने के लिए कुछ लोग इसमें नींबू का रस या अमचूर भी डाल सकते हैं. यह सभी मसाले ग्वार की फली के साथ मिलकर एक अनोखा जायका तैयार करते हैं.

ग्वार की फली का आचार बनाने के लिए सबसे पहले ग्वार फली को धोकर उसके किनारे काट लें और थोड़ी देर नमक मिले पानी में उबालें ताकि उसकी कड़वाहट खत्म हो जाए. फिर उसे सूखा लें, अब एक कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें, उसमें मेथी, राई और हींग डालकर तड़का लगाएं. इसके बाद हल्दी, लाल मिर्च, नमक, सौंफ और ग्वार फली डालकर धीमी आंच पर कुछ मिनट भूनें. ठंडा होने पर इसे कांच के जार में भरकर धूप में 2 से 3 दिन रखें.

गृहिणी सुमित्रा मौर्य ने बताया कि ग्वार फली का आचार अपने तीखे, खट्टे और मसालेदार स्वाद के कारण खाने का मजा बढ़ा देता है. यह खासकर सर्दियों में रोटियों और पराठों के साथ बहुत पसंद किया जाता है. यात्रा या टिफिन में भी इसे अपने साथ ले जाया जा सकता है. ग्वार के आचार की एक और खास बात ये है कि इसे बिना सब्जी के साथ भी खाया जा सकता है. इसके आचार का स्वाद इसकी सब्जी की तरह ही होता है.

ग्वार फली का आचार सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है. आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि ग्वार में फाइबर, प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जो पाचन तंत्र को मजबूत करती है. यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखती है और हृदय रोगों से बचाव में सहायक होती है. इसके अलावा यह ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करने में मदद करती है. ऐसे में ग्वार की फली का आचार किसी दवा से कम नहीं है.

राजस्थान में ग्वार फली का आचार सिर्फ एक खाने का व्यंजन नहीं बल्कि परंपरा का हिस्सा है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे बड़ी मात्रा में बनाकर सालभर के लिए रखा जाता है. त्यौहारों और मेहमानों के आने पर इसे भोजन में खास जगह दी जाती है. इसका स्वाद राजस्थानी घरों की मिट्टी और परंपरा का अहसास कराता है. ग्वार फली का आचार खास इसलिए भी है क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक प्रिजर्वेटिव के लंबे समय तक टिकता है.

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सर्दियों में खास क्यों है राजस्थानी ग्वार फली का आचार? जानिए पारंपरिक रेसिपी


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