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त्योहार हो या पारिवारिक भोज, इस चटनी के बिना सब अधूरा लगता है, जानें क्या बनाता है इसे खास और अलग – Uttarakhand News

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भांग की चटनी उत्तराखंड की रसोई में सिर्फ स्वाद बढ़ाने का साधन नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति का प्रतीक भी है. पहाड़ों में यह चटनी खासतौर पर त्योहारों, पारिवारिक भोज और अन्य आयोजनों में परोसी जाती है, जिससे हर थाली में इसका अनोखा महत्व जुड़ा होता है. आइए जानते है इसकी आसान रेसिपी…

भांग की चटनी न केवल उत्तराखंड के खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि यह वहां की संस्कृति और परंपरा का भी हिस्सा है. पहाड़ों के हर घर में यह रोजाना की थाली में शामिल रहती है और इसके खट्टे-तीखे स्वाद और अनोखी खुशबू के कारण साधारण भोजन भी खास बन जाता है. यही वजह है कि गांव से लेकर शहर तक इसकी लोकप्रियता और स्वाद की तारीफ सुनने को मिलती है.

पहाड़ों में किसी भी त्योहार या पारिवारिक भोज की थाली भांग की चटनी के बिना अधूरी मानी जाती है. शादी-ब्याह हो, धार्मिक आयोजन या स्थानीय पर्व—हर अवसर पर यह चटनी खाने में स्वाद का तड़का लगाती है. खासतौर पर मेहमानों को परोसना इसे सम्मान का प्रतीक बनाता है, और यही कारण है कि यह पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का अहम हिस्सा बनी हुई है.

भांग की चटनी बनाना बेहद आसान है. सबसे पहले भांग के बीजों को हल्का सा भूनकर पीस लिया जाता है. फिर इसमें हरी मिर्च, लहसुन, धनिया पत्ती, नींबू का रस और नमक मिलाकर बारीक पीस दिया जाता है. कुछ ही मिनटों में यह स्वादिष्ट चटनी तैयार हो जाती है. इसकी खास बात यह है कि इसे घर पर बहुत कम सामग्री से आसानी से बनाया जा सकता है.

भांग की चटनी का खट्टा-तीखा स्वाद हर किसी को लुभा लेता है. नींबू का खट्टापन और हरी मिर्च की तीखापन इसे अलग ही मज़ेदार बनाते हैं. साथ ही धनिया पत्ती और लहसुन इसकी अनोखी सुगंध को बढ़ाते हैं. यही स्वाद इसे साधारण दाल-चावल, रोटी या पराठे के साथ भी बेहद खास बना देता है.

भांग के बीज पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार पाचन के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं. पहाड़ों में लोग इसे रोजाना भोजन में शामिल करते हैं, क्योंकि यह भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है. साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करते हैं. यही वजह है कि यह चटनी सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि सेहत का भी खजाना है.

भांग की चटनी का स्वाद हर मौसम में अलग ही आनंद देता है. गर्मियों में यह ताजगी और भूख बढ़ाने का काम करती है, जबकि सर्दियों में शरीर को ऊर्जा और गर्माहट प्रदान करती है. यही वजह है कि यह चटनी सालभर पहाड़ी भोजन का अहम हिस्सा बनी रहती है और अब इसके स्वाद की लोकप्रियता सिर्फ गांवों तक ही सीमित नहीं, बल्कि शहरों तक भी फैल चुकी है.

पहले भांग की चटनी सिर्फ गांवों और घरों तक सीमित थी, लेकिन अब इसकी लोकप्रियता शहरों में भी तेजी से बढ़ गई है. आज कई रेस्टोरेंट और होटलों में इसे पारंपरिक व्यंजन के तौर पर परोसा जाने लगा है. शहरी लोग भी इसे घर पर बनाना और खाना पसंद करने लगे हैं, जिससे यह चटनी धीरे-धीरे आधुनिक खानपान का हिस्सा बनती जा रही है.

भांग की चटनी केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति और पहचान की झलक भी पेश करती है. यह पहाड़ी जीवनशैली और परंपराओं का प्रतीक है. आज भी जब थाली में इसे परोसा जाता है, तो यह न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाती है बल्कि स्थानीय संस्कृति की गवाही भी देती है. यही कारण है कि इसे उत्तराखंड की विरासत का अहम हिस्सा माना जाता है.

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पहाड़ों की रसोई का राज: भांग की चटनी क्यों है हर थाली में जरूरी? जानें रेसिपी


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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-bhaang-ki-chutney-gives-new-identity-to-uttarakhand-culture-and-taste-know-recipe-local18-ws-kl-9573328.html

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